Acn18.com/एनटीपीसी की कोरबा परियोजना के प्रबंधन के रवैया से त्रस्त होकर चारपारा कोहड़िया के कुछ प्रभावितों को धरना देने के लिए मजबूर होना पड़ा है। लोगों की जमीन एनटीपीसी के द्वारा अरजीत की गई थी जिसके एवज में नौकरी और मुआवजा नहीं मिला है। लगातार आश्वासन मिलने से नाराज यह लोग अब धरना दे रहे हैं।
1970 के दशक के अंतिम वर्षों में नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन लिमिटेड की कोरबा परीयोजना के लिए सरकार के द्वारा जमीन अर्जित की गई थी। पौने 2 हजार एकड़ जमीन अधिग्रहित किए जाने से अकेले चारपारा कौहड़िया के 300 परिवार प्रभावित हुए थे। खबर के अनुसार इनमें से 250 के आसपास लोगों को नौकरी और मुआवजा दे दिया गया है। लेकिन 45 वर्ष का लंबा समय गुजरने के बाद भी शेष बजे लोगों को उनकी जमीन के बदले ना तो नौकरी दी गई और ना ही मुआवजा। जबकि कुछ मामलों में क्षतिपूर्ति देना भी बचा हुआ है। कोरबा के तानसेन चौराहे पर धरने पर बैठे प्रभावित लोगों ने अपने मामले को लेकर बताया कि इतने वर्षों में एनटीपीसी प्रबंधन और प्रशासन का रवैया उनके साथ नकारात्मक रहा है।
इससे पहले भी चारपारा कौड़िया से संबंधित लोगों के द्वारा अपने मसले को लेकर अलग-अलग स्तर पर पत्राचार किया गया और प्रदर्शन किए गए। हर बार इन लोगों को अधिकारियों की ओर से आश्वासन दिया गया लेकिन समस्या का हल करने में रुचि नहीं ली गई। यही कारण है कि लोगों को अपने विषय पर हर किसी का ध्यान आकर्षित करने के लिए अब प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। छत्तीसगढ़ के अलावा देश के कई राज्यों को बिजली उपलब्ध कराने वाली एनटीपीसी की कोरबा स्थिति 2600 मेगावाट क्षमता युक्त बिजली परियोजना लगातार उपलब्धि हासिल कर रही है। इसलिए शीर्ष प्रबंधन को यह विचार जरूर करना चाहिए कि जिन लोगों की जमीन पर परियोजना ने आकार लिया है कम से कम उनके सामाजिक और आर्थिक हितों का ख्याल रखा जाए।