चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को केंद्र और मणिपुर सरकार से पूछा कि हिंसा शुरू होने के बाद अब तक कितनी FIR दर्ज की गई हैं। CJI मणिपुर में निर्वस्त्र घुमाई गईं दो पीड़ित महिलाओं की याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं।
दोनों ने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ अपील की है। उनकी मांग है कि कोर्ट मामले में निष्पक्ष जांच का आदेश दे। सुनवाई के दौरान CJI चंद्रचूड़ ने कहा- एक वीडियो सामने आया, लेकिन यह महिलाओं के खिलाफ अपराध की इकलौती घटना नहीं है। ऐसा दूसरी महिलाओं के साथ भी हुआ। हमें महिलाओं के खिलाफ हिंसा जैसे गंभीर मसले के लिए एक मैकेनिज्म बनाना होगा।
तीन जजों की बेंच सुनवाई कर रही
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जेबी पादरीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच सुनवाई कर रही है। पिटीशन में पीड़ित महिलाओं की पहचान जाहिर नहीं की गई है। उन्हें X और Y नाम से संबोधित किया गया है। सुप्रीम कोर्ट आज मणिपुर हिंसा से जुड़ी दूसरी याचिकाओं पर भी सुनवाई करेगा।
कोर्ट रूम LIVE
सुप्रीम कोर्ट: हम दोनों पक्षों की बात सुनेंगे और उसके बाद कदम उठाएंगे। हमारे पास अभी कोई ठोस रिकॉर्ड नहीं है। पहले हम याचिकाकर्ताओं को सुनेंगे और इसके बाद अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल की बात सुनेंगे।
याचिकाकर्ता: वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यह साफ है कि पुलिस उन लोगों के साथ मिलकर काम कर रही है, जो महिलाओं के खिलाफ हिंसा की साजिश कर रहे हैं। पुलिस इन महिलाओं को ले गई और भीड़ में छोड़ दिया। इसके बाद भीड़ ने वो किया, जो सामने आया है।
दोनों में से एक के पिता और भाई को कत्ल कर दिया गया। अभी तक उन्हें बॉडी नहीं मिली है। जीरो FIR दर्ज की गई और वो भी 18 मई को। जब कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई की तो कुछ हुआ। हमारे पास अब किसका भरोसा है? ऐसी कई घटनाएं हुई हैं। इस मामले की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।
याचिकाकर्ता: वरिष्ठ वकील इंदिरा जय सिंह ने कहा कि केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक 595 FIR दर्ज की गई हैं। इनमें से कितनी सेक्सुअल वॉयलेंस की हैं, कितनी आगजनी, हत्या की हैं। यह अभी स्पष्ट नहीं है। जहां तक कानून का सवाल है, रेप विक्टिम इस बारे में बात नहीं कर ही हैं। वो अभी तक अपने दुख से बाहर नहीं आ पाई हैं।
सबसे जरूरी चीज भरोसा पैदा करना है। CBI जांच शुरू करती है तो अभी हम यह नहीं जानते हैं कि महिलाएं सामने आएंगी। महिलाएं पुलिस की बजाय महिलाओं से ही बात करने में ज्यादा सहज महसूस करेंगी। इसके लिए एक हाईपावर कमेटी बनाई जाए और उसमें ऐसी महिलाओं को शामिल किया जाए जिन्हें इस तरह के मामलों का अनुभव हो।
केंद्र सरकार: सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट यह मामला देखता है तो हमें कोई आपत्ति नहीं है।