Acn18.com/गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की सुप्रसिद्ध कविता ‘एकला चलो रे’ का छत्तीसगढ़ी वर्जन ‘एकेल्ला रेंगव रे’ बनाया गया है, जो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। ‘एकेल्ला रेंगव रे’ गाने की प्रोड्यूसर सिंधु शुक्ला ने कहा कि एकला चलो रे गीत एक प्रेरणादायक देशभक्ति गीत है और उन्हें लगा कि छत्तीसगढ़वासियों को प्रेरित करने के लिए इसका अनुवाद अपनी भाषा में होना चाहिए।
एकला चलो गाने का छत्तीसगढ़ी में अनुवाद कर “एकेल्ला रेंगव रे” गीत बनाया गया है, जिसे ठेठ छत्तीसगढ़ी अंदाज दिया गया है। इस गाने को नवा रायपुर के ही अलग-अलग लोकेशन पर शूट किया गया है। दैनिक भास्कर से इस गाने की प्रोड्यूसर और सिंगर ने खास बातचीत की। ‘एकेल्ला रेंगव रे’ गाने की प्रोड्यूसर सिंधु शुक्ला पेशे से सीनियर प्रोफेसर हैं, जो सांख्यिकी विषय पढ़ाती हैं।
सिंधु शुक्ला ने बताया कि उन्हें फेमस और अच्छे गानों को छत्तीसगढ़ी में अनुवाद करना पसंद है। सिंधु ने इसके पहले भी पुराने गाने न मुंह छुपा के जिओ के साथ 7-8 और गानों का भी छत्तीसगढ़ी अनुवाद किया है। कुछ दिन पहले इनका एक नाचव-नाचव गाना भी खूब फेमस हुआ था, जो ऑस्कर विनिंग सॉन्ग नाटू-नाटू की तर्ज पर बना था। उन्होंने कहा कि विश्व प्रसिद्ध गीत एकला चलो रे वे अक्सर सुनती हैं, इसी दौरान उनका भी मन हुआ कि इस गाने का छत्तीसगढ़ी वर्जन भी बनाना चाहिए। फिर मैंने गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर के इस गाने के शब्दों के अनुसार छत्तीसगढ़ी भाषा में शब्दों की तलाश की।
सिंधु ने कहा कि मेरे इस गाने की शुरुआत हांक पारले कोनो नइ आवय, तौ एकेल्ला रेंगव रे से हुई है। जिसके बाद यह गाना अलग-अलग लिरिक्स के साथ व्यक्ति के आम जनजीवन में उत्साह भरने की कोशिश करता है। जिसे स्थानीय अंदाज में बहुत ही सरलता से पेश किया गया है।
इस छत्तीसगढ़ी वर्जन की सिंगर देबजानी मुखर्जी हैं, जो अंग्रेजी साहित्य विषय की रिसर्चर हैं। वे मूलतः बंगभाषी हैं। देबजानी ने बताया कि उन्हें सिंगिंग बहुत पसंद है। उन्होंने कहा कि वे बचपन से ही रविंद्र संगीत सुनती आई हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें जब एकला चलो रे के छत्तीसगढ़ी वर्जन को गाने के लिए कहा गया, तो मैं बहुत खुश हो गई। इसका छत्तीसगढ़ी वर्जन भी बहुत ही ज्यादा मोटिवेशनल है, जो एनर्जी देता है। मुझे आगे भी अगर इस तरह के गानों के ऑफर मिलते हैं, तो मैं उसे जरूर करूंगी।
सॉन्ग का वीडियो है खास
इस देसी वर्जन के वीडियो की शुरुआत सुभाष चंद्र बोस से होती है। जिसमें आजाद हिंद फौज के गठन से लेकर देश के लिए किए गए उनके संघर्षों को दिखाया जाता है। इसके बाद गाने में देश के महान लोगों की तस्वीर दिखाई गई है। जिसमें पहली छत्तीसगढ़ की लोको पायलट प्रतिभा बसोड़, बर्ड मैन सलीम अली, लक्ष्मी बाई, बस्तर के गुण्डाधुर, सिंधु ताई, दशरथ मांझी के जीवन को दिखाने की कोशिश की गई है। रायपुर के आर्टिस्ट पॉइंट स्टूडियो ने इस गाने की रिकॉर्डिंग की। साथ ही इस गाने में दो एक्टर खुशी शर्मा और प्राची जायसवाल ने डांस किया है।
ओरिजिनल सॉन्ग के बारे में जानिए
‘एकला चलो रे’ ओरिजिनल सॉन्ग को ब्रिटिश काल में 1905 में गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर ने लिखा था। यह रविंद्र संगीत शैली का बंगाली भाषा में बना हुआ गाना था। “एकला” शीर्षक से ये गीत पहली बार भंडार पत्रिका में प्रकाशित हुआ। यह गीत श्रोता को परित्याग या दूसरों के समर्थन की कमी के बावजूद अपनी यात्रा जारी रखने के लिए मोटिवेट करता है। ये भारत में बहुत सुने जाने वाला गीत रहा है। इसे गुरुदेव ने लोगों के प्रेरित करने और अपनी बात कहने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से लिखा था। इसमें गुरुदेव ने विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी बात मजबूती से रखने और कर्तव्य पथ पर अग्रसर रहने के लिए कहा गया है।