acn18.com जांजगीर चांपा। जिले के ग्रामीण अंचलों में लोक नृत्य सुआ की मची हुई है। बालिकाएं मनमोहक गीत और नृत्य की प्रस्तुति दे रही है. धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ की अपनी एक अलग पहचान है। छत्तीसगढ़ अपने अलग संस्कृति, धरोहर के लिए भी पूरे देश में विख्यात है। फसल पकने के साथ ही अब ग्रामीण अंचलों में छत्तीसगढ़ी लोक नृत्य सुवा की झलक देखने को मिल रही है। बच्चियों व महिलाओं की अलग-अलग टोली में लोग घर- घर जाकर सुवा नृत्य कर धान ले रही है।
दीप पर्व पर “तर नाह नारी मोर नर नारी ओ सुवा मोर” जैसे पारंपरिक लोकगीत के साथ सामूहिक पंडक़ी नृत्य करती महिलाओं की टोली दुकानों और घरों के आगे सुआ नृत्य करते नजर आ रही है। दीपावली पर्व में गौरी-गौरा उत्साह का भी अलग महत्व है। लक्ष्मी पूजा के सप्ताह भर पहले गौरा चौक में मोहल्लेवासी रात में भी इकठ्ठा होते हैं। दफड़ा, निसान बाजा और मोहरी की धुन में महिलाएं गौरा जगाने गीत गाती हैं। लक्ष्मी पूजा की रात करसा परघाई करने बाजे-गाजे के साथ महिलाओं की टोली घर-घर जाती है। अगले दिन शोभायात्रा निकाल गौरा विसर्जन किया जाता है।