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कोरिया जिले में दिखे थे आखिरी बार चीते, कोरिया के राजा ने किया था शिकार, देश में फिर हुई चीतों की वापसी

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कोरिया से मनोल श्रीवास्तव: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन नामीबिया से लाए गए आठ चीतों की पूरे देश में जमकर चर्चा हो रही है। देश से लुप्त हुए इस दुर्लभ वन्यप्राणी की संख्या बढ़ाने के लिए उन्हें मध्यप्रदेश के कूनो नेशपल पार्क में छोड़ा गया है। पर क्या आपको पता है,कि देश में आखिरी चीता कहां था। कोरिया के रामगढ़ में आखिरी तीन चीेते थे जिनका शिकार तात्कालीन राजा स्वर्गीय रामानुज प्रताप सिंहदेव ने वर्ष 1947-48 में किया था,जिसके बाद देश से चीतों का अस्तीत्व पूरी तरह से समाप्त हो गया।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर नामीबिया से लाए गए आठ चीतों के कारण इस वक्त चीते सुर्खियों बटोर रहे है। एक समय भारत देश में भी चीतों की संख्या बहुतायत में थी लेकिन शिकारियों के साथ ही अन्य कारणों के कारण वे लुप्त हो गए,जिसकी कहनी बड़ी दिलचस्प। कहा जाता है,कि देश में आखिरी बार चीते कोरिया जिले में मौजूद थे। रामगढ़ के जंगल में तीन चीतों की मौजूदगी की बात कही जाती है जिनमें एक मादा और दो उसके शावक थे,जिनका शिकार तात्कालीन राजा स्व.रामानुज प्रताव सिंहदेव ने वर्ष 1947-48 में किया था जिसके बाद से भारत देश से चीतों का अस्तीत्व समाप्त हो गया था। और 1952 में इसे विलुप्त करार दे दिया गय। बात करें कोरिया राजा स्वर्गीय रामानुज प्रताप सिंह देव की तो उनका जन्म 1901 में और निधन उन्नीस 1954 में हुआ था। बैकुंठपुर के महलपारा इलाके में बने कोरिया पैलेस की अगर बात करे तो यहां दो कमरे में अलग अलग पशुओं की ट्राफिया रखी हुई है जहाँ लोगो के जाने पर रोक है। एक कमरे में इंडियन तो दूसरे कमरे में अफ्रीका के पशुओं की ट्राफी है।पुराने लोगो की माने तो राजा को शिकार का बड़ा शौक था और वो अफ्रीका तक जाते थे। इनके द्वारा अविभाजित कोरिया जिले के कई इलाके में शिकार किया जाता था। रामानुज प्रताप सिंहदेव के सबसे छोटे बेटे कोरिया कुमार स्वर्गीय रामचन्द्र सिंहदेव जो मंत्री भी रहे है उनके करीबी दोस्त प्रवीण भट्टाचार्य बताया कि राज स्वर्गीय रामानुज प्रताप सिंहदेव ने आखरी चीते का शिकार रामगढ़ में किया था स्वर्गीय रामचन्द्र सिंहदेव बताते थे।राजा स्वर्गीय रामानुज प्रताप सिंहदेव शिकार के शौकीन थे।कोरिया के ग्रामीण क्षेत्रों में भी शिकार किया करते थे।

कोरिया के गुरु घासीदास नेशनल पार्क के डायरेक्टर आर रामाकृष्णन वाई बताते हैं कि 1948 में कोरिया के राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव ने तीन चीतों को मारा था और उसका पब्लिकेशन बॉम्बे पब्लिकेशन नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी मुंबई में 1948 मैं हुआ था जो कि आखरी चीता रिकॉर्ड में भारत सरकार ने 1952 एशिया के चीता को खत्म होना बताया है।आज अफ्रीकी देश नामीबिया से 8 चीतों को मध्यप्रदेश के कूनो पालपुर नेशनल पार्क में लाया गया है।

आखिरी 3 चितो का शिकार कोरिया रियासत के राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव ने 1948 में किया था, लेकिन सिंहदेव परिवार के वंशज का कहना है कि हमारे दादा शिकार करते थे, उन्होंने चीतों का शिकार किया भी था, लेकिन यह कैसे कहा जा सकता है कि जो शिकार 1948 में मेरे दादा ने किया था वही आखिरी चीते थे। छत्तीसगढ़ सरकार में संसदीय सचिव व कोरिया जिले के बैकुंठपुर विधानसभा की विधायक अम्बिका सिंगदेव ने आखिरी चीतों के शिकार को लेकर क्या बाते कही आप भी सुनिए।

बहरहाल जो भी हो लुप्त होने के बाद भारत देश में एक बार फिर से चीतों की वापसी हो गई है और उनका संरक्षण कूनो पार्क में किया जा रहा है। उम्मीद जताई जा रही है,कि आने वाले समय में इनकी संख्या में जरुर ईजाफा होगा।

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