acn18.com कोरबा/वाहन चलाने के लिए चालकों को ड्राइविंग लाइसेंस की आवश्यकता होती है और इसके लिए भारत सरकार ने ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी का व्यवस्था दे रखी है। जिला स्तर पर डीटीओ कार्यालय से यह प्रक्रिया पूरी की जाती इसके बावजूद कई लोग एजेंटों के चक्कर में पड्ते हैं। हैवी ड्राइविंग लाइसेंस के लिए एक एजेंट को रुपए देने के बाद कुछ युवकों के काम नहीं हुए। उन्होंने इस बारे में पुलिस की मदद ली है।
कई मौकों पर सफाई दी गई है की परिवहन विभाग ने अपने सभी कार्यों को सीधे तौर पर करना जारी रखा है और इसके लिए दूसरी सभी व्यवस्थाएं बंद कर दी गई हैं। लेकिन सच्चाई यह नही है। अलग-अलग कारणों से लोग बैक डोर से अपने काम कराना चाहते हैं और इसी चक्कर में उन्हें चपत लगती है। बिरतराई गांव के विनोद नगरची व रोहित यादव के साथ ऐसा ही हुआ । उन्होंने हैवी लाइसेंस के लिए मुढ़ापार कोरबा के प्रमोद श्रीवास को धनराशि दी। कई महीने बीतने पर भी ना तो उनका काम हुआ और ना ही रुपये वापस हुए। इसलिए यह लोग मानिकपुर पुलिस चौकी के शरण में गए।
पीड़ित पक्ष का कहना है कि कई चक्कर लगाने के बाद उन्हें इस मामले में सफलता नहीं मिली अब तो एजेंट के द्वारा मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया गया है।
जानकारी के अनुसार परिवहन विभाग से संबंधित कामकाज के लिए जो व्यवस्था सरकार ने बना रखी है उसके अंतर्गत सामान्य लोग अपने कार्यों को सहज तरीके से नहीं करा पाते। समय की कमी और झंझट से वास्ता पड़ने के कारण लोग दूसरे रास्ते तलाशते है। इस स्थिति में लोगों के काम काफी जल्द हो जाते हैं और इसी चक्कर में पिछले दरवाजे से काम कराने वालों की लॉटरी लगी हुई है।