इसरो आज यानी 17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर और रोवर से अलग करेगा। अब प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में 3-6 महीने रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स का अध्ययन करेगा जबकि लैंडर-रोवर 23 अगस्त को शाम 5:47 बजे चंद्रमा की सतह पर उतरेंगे। यहां वो 14 दिन तक पानी की खोज सहित अन्य प्रयोग करेंगे।
अभी चंद्रयान ऐसी गोलाकार कक्षा में घूम रहा है जिसमें उसकी चंद्रमा से सबसे कम दूरी 153 Km और सबसे ज्यादा दूरी 163 किलोमीटर है। इसरो के वैज्ञानिकों ने 16 अगस्त को सुबह करीब 08:30 बजे यान के थ्रस्टर कुछ देर के लिए फायर किए थे। इसके बाद चंद्रयान 153 Km X 163 Km की करीब-करीब गोलाकार कक्षा में आ गया था। इससे पहले वो 150 Km x 177 Km की ऑर्बिट में था।
सॉफ्ट लैंडिंग के लिए चंद्रयान-3 को 90 डिग्री घूमना होगा, पहले यहीं दिक्कत आई थी
प्रपल्शन से अलग होने के बाद लैंडर को डीबूस्ट किया जाएगा। यानी उसकी रफ्तार धीमी की जाएगी। यहां से चंद्रमा की न्यूनतम दूरी 30 किमी रह जाएगी। सबसे कम दूरी से ही 23 अगस्त को चंद्रयान की सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश की जाएगी।
लैंडर को 30 किमी की ऊंचाई से चंद्रमा की सतह पर लैंड कराने तक की यह प्रक्रिया बहुत महत्वपूर्ण होगी। यानी परिक्रमा करते हुए उसे अचानक 90 डिग्री के कोण पर चंद्रमा की तरफ चलना शुरू करना होगा। लैंडिंग की प्रक्रिया की शुरुआत में चंद्रयान-3 की रफ्तार करीब 1.68 किमी प्रति सेकंड होगी। इसे लैंडर के डीबूस्टर की मदद से कम करते हुए सतह पर सुरक्षित उतरने का प्रयास होगा।
5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा था यान
22 दिन के सफर के बाद चंद्रयान 5 अगस्त को शाम करीब 7:15 बजे चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा था। तब उसकी स्पीड कम की गई थी ताकि यान चंद्रमा की ग्रैविटी में कैप्चर हो सके। स्पीड कम करने के लिए इसरो वैज्ञानिकों ने यान के फेस को पलटकर थ्रस्टर 1,835 सेकेंड यानी करीब आधे घंटे के लिए फायर किए। ये फायरिंग शाम 7:12 बजे शुरू की गई थी।
चंद्रयान ने चांद की तस्वीरें कैप्चर कीं
चंद्रयान ने जब पहली बार चंद्रमा की कक्षा में एंट्री की थी तो उसकी ऑर्बिट 164 Km x 18,074 Km थी। ऑर्बिट में प्रवेश करते समय उसके ऑनबोर्ड कैमरों ने चांद की तस्वीरें भी कैप्चर की थीं। इसरो ने अपनी वेबसाइट पर इसका एक वीडियो बनाकर शेयर किया। इन तस्वीरों में चंद्रमा के क्रेटर्स साफ-साफ दिख रहे हैं।