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व्यवसायी के पुत्र संयम ने अपनाया नया मार्ग, बचपन से ही धार्मिक क्षेत्र में रुचि, दी विदाई

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Acn18.com/युवावस्था को प्राप्त करने के साथ चिरमिरी बड़ा बाजार के प्रतिष्ठित व्यवसाय के पुत्र संयम जैन ने सामाजिक जीवन से दूरी बना ली। अब वह त्याग और तप के मार्ग पर चल पड़ा है। चिरमिरी में विशेष कार्यक्रम आयोजित करने के साथ इस युवा को लोगों ने धूमधाम से विदाई दी। परिवार के लोग भी उसके निर्णय पर खुश है।

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आयु के साथ हर कोई भविष्य के लिए नए सपने देखता है और उन्हें साकार करने के बारे में भी सोचता है। ऐसे में अगर कोई सदस्य आर्थिक रूप से सक्षम परिवार से संबंधित हो तो समझा जा सकता है कि उसकी महत्वाकांक्षा है क्या हो सकती है और उसकी पूर्ति के लिए परिवार क्या कर सकता है। इन सबसे अलग उदाहरण जैन समाज में समय-समय पर देखने को मिलते रहे हैं जिनमें युवा वर्ग सुख साधन और माया मोह छोड़कर वैराग्य पथ पर अग्रसर हो जाता है। कोयलांचल चिरमिरी के बड़ा बाजार क्षेत्र में रहने वाले व्यवसाई सुनील और राखी जैन के इकलौते पुत्र संयम ने भी कुछ ऐसा ही कर दिखाया । बारहवीं की ग्रहण करने के बाद संयम का रास्ता जैन मुनि बनने का हो गया है। एक कार्यक्रम में चिरमिरी नगर वासियों ने उसे धूमधाम से विदाई दी। संयम ने बताया कि समाज से हटकर बहुत बड़े वर्ग के लिए अच्छे काम हो सकते हैं और इसके लिए नया रास्ता बेहतर है। byt संयम जैन, चिरमिरी निवासी

संयम की मां राखी जैन पुत्र के निर्णय से खुश नजर आई। उन्होंने बताया कि बचपन से ही वह धार्मिक क्षेत्र को लेकर काफी गंभीर था।

संयम के पिता सुनील जैन ने भी अपने पुत्र के फैसले पर खुशी व्यक्त की लेकिन उसके बिछड़ने से होने वाले दर्द का आभास बातों से हुआ।

आगामी दिनों में गुरु की उपस्थिति में संयम को दीक्षा दी जाएगी और फिर उसे नया नाम प्राप्त होगा। जैन धर्म में मुनी बनने वाले सदस्यों के लिए 12 तरह के दीक्षाएं होती हैं और कठिन प्रक्रियाओं से गुजरने के साथ दीक्षार्थी सहज बन पाते है।

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