Acn18.com/वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के बीच सुप्रीम कोर्ट ने 24 जुलाई को अहम बात कही। शीर्ष कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को यह स्पष्ट तौर पर बताने को कहा कि मस्जिद स्थल पर कोई खुदाई नहीं की जाए। सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई आज दोपहर 2 बजे करने को तैयार हो गया है। ज्ञानवापी कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। कमेटी वाराणसी कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ है, जिसमें मस्जिद परिसर में ASI से वैज्ञानिक सर्वे कराने की बात कही गई थी।
वहीं, वाराणसी में ASI ने 24 जुलाई को ज्ञानवापी का सर्वे शुरू कर दिया। सील वजूस्थल को छोड़कर पूरे परिसर का सर्वे हो रहा है। शुरुआती 3 घंटे के सर्वे में फीता लेकर पूरे परिसर को नापा गया। 4 स्टैंड कैमरे परिसर के चारों कोने पर लगाए गए हैं। उसमें एक-एक एक्टिविटी रिकॉर्ड की जा रही है। तहखाने में अंधेरा ज्यादा होने से सर्वे में दिक्कत हुई। टार्च और अन्य लाइट की रोशनी कम पड़ गई। उधर, मुस्लिम पक्ष ने सर्वे का बहिष्कार किया है। वह सर्वे के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट में याचिका को लेकर सुनवाई हुई।
CJI ने यूपी सरकार से पूछा था कि ASI वहां क्या कर रही है। ज्ञानवापी में सर्वे की यथास्थिति क्या है।
परिसर में लगे पत्थर और ईंट की हाइट नापी
ASI की 4 टीमें परिसर को 4 हिस्सों में बांट कर अलग-अलग सर्वे कर रही हैं। परिसर में लगे पत्थर और ईंट की हाइट नापी गई। नींव के पास से मिट्टी का सैंपल लिया गया। चारों ओर की दीवारों की फोटो-वीडियोग्राफी की गई। सीढ़ियों पर लगे पत्थर के सैंपल लिए गए।
ASI टीम अब ज्ञानवापी के सभी कमरों और बरामदे की फोटो-वीडियो ग्राफी की जा रही है। 30 सदस्यीय ASI टीम सोमवार सुबह 6.30 बजे ज्ञानवापी पहुंच गई थी। 7 बजे से सर्वे शुरू कर दिया था। सर्वे और सावन के सोमवार को देखते हुए वाराणसी को हाईअलर्ट पर रखा गया है। परिसर के बाहर और आसपास 2,000 से ज्यादा जवान तैनात हैं।
मुस्लिम पक्ष के वकील बोले- हमने DM से कह दिया था सर्वे में शामिल नहीं होंगे
रविवार रात दिल्ली, पटना और आगरा से ASI की टीम वाराणसी पहुंची। यहां DM, कमिश्नर, पुलिस कमिश्नर के साथ बैठक की। इसके बाद सोमवार सुबह से सर्वे पर सहमति बनी। प्रशासन ने हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों और उनके वकीलों को बुलाया। हिंदू पक्ष ने सर्वे में सहयोग की बात कही। हिंदू पक्ष के लोग सर्वे टीम के साथ सुबह ज्ञानवापी के अंदर गए हैं।
वहीं, मुस्लिम पक्ष यानी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने वाराणसी जिला कोर्ट के आदेश के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का हवाला दिया। मुस्लिम पक्ष के वकील मुमताज अहमद और रईस अहमद ने कहा, “हमने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार ही आगे बढ़ेंगे। कल ही हमने DM को मना कर दिया था कि हम सर्वे में शामिल नहीं होंगे।”
हिंदू पक्ष बोला-हमें यकीन है कि पूरा परिसर मंदिर का ही है
ज्ञानवापी मामले पर हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा, “हमें यकीन है कि पूरा परिसर मंदिर का ही है। सर्वे का परिणाम हमारे अनुकूल होगा। वहीं याचिकाकर्ता सोहन लाल आर्य ने कहा, “यह हमारे लिए हिंदू समुदाय और करोड़ों हिंदुओं के लिए बहुत ही गौरवशाली पल है। सर्वे ही इस ज्ञानवापी मुद्दे का एकमात्र समाधान है।”
हिंदू पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी ने कहा, “आज ज्ञानवापी सर्वे हो रहा है। ये हमारे लिए अच्छी बात है। सर्वे कब तक चलेगा, कह नहीं सकते।”
ज्ञानवापी मस्जिद के मुफ्ती बोले- पहले से सर्वे की कोई नोटिस नहीं दी
ज्ञानवापी मस्जिद के मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी ने कहा, “रविवार देर रात वाराणसी के जिलाधिकारी और पुलिस कमिश्नर के साथ मुस्लिम पक्ष की बैठक हुई। अधिकारियों को बताया था कि पुरातत्विक सर्वे को लेकर उन्हें पहले से कोई नोटिस नहीं दी गई है। रिक्वेस्ट किया था कि इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई होने वाली है। ऐसे में सर्वे को 1 दिन के लिए टाल दिया जाए।
नोमानी का दावा है कि अधिकारियों ने उन्हें आश्वासन दिया था कि उनकी बातों को ऊपर के अधिकारियों को पहुंचाया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सोमवार को सर्वे शुरू कर दिया गया। इसलिए मुस्लिम पक्ष ने सर्वे में शामिल ना होने का फैसला लिया।
वहीं, हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा- हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट न्याय करेगा। अगर वे तत्काल सुनवाई की अनुमति देते हैं तो हम सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रखने के लिए तैयार हैं।
स्वास्तिक, त्रिशूल, डमरू और कमल चिह्न मिले थे
वाराणसी कोर्ट में वकील विष्णुशंकर जैन ने सुनवाई के दौरान दलील दी कि ज्ञानवापी की 14 से 16 मई के बीच हुए सर्वे में 2.5 फीट ऊंची गोलाकार शिवलिंग जैसी आकृति के ऊपर अलग से सफेद पत्थर लगा मिला। उस पर कटा हुआ निशान था। उसमें सींक डालने पर 63 सेंटीमीटर गहराई पाई गई। पत्थर की गोलाकार आकृति के बेस का व्यास 4 फीट पाया गया। ज्ञानवापी में कथित फव्वारे में पाइप के लिए जगह ही नहीं थी, जबकि ज्ञानवापी में स्वास्तिक, त्रिशूल, डमरू और कमल जैसे चिह्न मिले। मुस्लिम पक्ष कुंड के बीच मिली जिस काले रंग की पत्थरनुमा आकृति को फव्वारा बता रहा था, उसमें कोई छेद नहीं मिला है। न ही उसमें कोई पाइप घुसाने की जगह है।
इन पद्धतियों से सर्वे करेगी ASI की टीम
ASI ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार यानी GPR या जिओ रेडियोलॉजी सिस्टम या दोनों का प्रयोग कर सर्वेक्षण कर सकती है। पुरानी इमारतों और खंडहरों के सर्वे में GPR और मॉडर्न टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करती है। ज्ञानवापी के सर्वे में भी इसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा।
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने बताया है कि आज ज्ञानवापी का सर्वे GPR और मॉडर्न टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से किया जाएगा। इसके अलावा ASI की एक टीम अध्ययन क्षेत्र में आगे-पीछे सीधी रेखाओं में चलती है। जैसे-जैसे वे चलते हैं, वे अतीत की मानवीय गतिविधियों के साक्ष्य की तलाश करते हैं। जिसमें दीवारें या नींव, कलाकृतियां, मिट्टी में रंग परिवर्तन शामिल हैं जो सुविधाओं का संकेत दे सकते हैं। एक शोधकर्ता या टीम सतह पर कलाकृतियां या अन्य पुरातात्विक संकेतकों की तलाश में लक्ष्य क्षेत्र के माध्यम से धीरे-धीरे चलती है, टीम उस समय के पर्यावरण के पहलुओं को रिकॉर्ड करती है। आज ASI सर्वे की टीम उन सभी साक्ष्यों को सहेजेगी।
21 जुलाई को कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया, इन सवालों के मिलेंगे जवाब
हिंदू पक्ष की ओर से सर्वे की मांग की गई जिसको स्वीकार कर कोर्ट ने ASI को 21 जुलाई को आदेश दिया। कोर्ट ने आदेश दिया कि ASI के निदेशक मस्जिद के तीन गुंबदों के ठीक नीचे GPR तकनीक से सर्वेक्षण करें और यदि आवश्यक हो तो खुदाई करें। इमारत के पश्चिमी दीवार के नीचे सर्वे करें और खुदाई करें। सभी तहखानों की जमीन के नीचे सर्वे करें और यदि आवश्यक हो तो खुदाई करें। ज्ञानवापी के व्यासजी के तहखाने की भी जांच और सर्वे ASI करेगी। सर्वे की पूरे प्रक्रिया की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराई जाएगी।
पुरातात्विक सर्वे धार्मिक ढांचा किसी अन्य धार्मिक निर्माण की सच्चाई सामने लाएगा। दीवारों की कलाकृति सिद्ध करेगी कि वर्तमान ढांचा पुराने मंदिर पर तो नहीं बना। निर्माण के दौरान पुरावशेष में क्या बदलाव किया गया है? यदि ऐसा है तो उसकी निश्चित अवधि, आकार, वास्तुशिल्पीय डिजाइन और बनावट विवादित स्थल पर वर्तमान में किस रूप में है?
बता दें कि याचिकाकर्ताओं की मांग थी कि ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर यह पता लगाए जाए कि अंदर का भाग मंदिर का है या नहीं। अब काफी कुछ आज के ASI सर्वे पर निर्भर करता है।
GPR सर्वे से 15 मीटर तक प्रमाण
ASI के अधिकारियों की मानें तो GPR एक भू-भौतिकीय विधि है, जो उपसतह की छवि के लिए रडार का उपयोग करती है। यह कॉन्क्रीट, तारकोल, धातु, पाइप, केबल या चिनाई जैसी भूमिगत उपयोगिताओं की जांच करने के लिए उपसतह का सर्वेक्षण करने का एक तरीका है। इतिहासकारों ने पहले ही प्रस्ताव दिया था कि ज्ञानवापी परिसर से 50 मीटर की दूरी में ट्रेंच लगाकर सर्वे किया जा सकता है। संभावना है कि यहां उससे भी प्राचीन तथ्य मिल सकते हैं।
GPR सर्वे की तकनीक से बिना खुदाई कराए जमीन से 15 मीटर नीचे तक की सभी जानकारियां आसानी से मिल जाती हैं। ऐतिहासिक धरोहरें खुदाई में नष्ट नहीं होने का खतरा अधिक रहता है। इससे किसी तरह का उस क्षेत्र को कोई भी नुकसान नहीं होता है। कलाकृतियों की उम्र और प्रकृति का पता लगाई जाएगी। इमारत की आयु, निर्माण की प्रकृति भी पता चल जाएगी।
सर्वे के दौरान इन लोगों की मौजूदगी
सर्वे के दौरान ज्ञानवापी परिसर में ASI की 30 सदस्यीय टीम के अलावा हिंदू पक्ष की चार वादिनी महिला, उनके चार अधिवक्ता मौजूद रहेंगे। मसाजिद कमेटी से भी चार लोगों और उनके चार अधिवक्ताओं को रहने के लिए कहा गया है। इसके अलावा जिला शासकीय अधिवक्ता, राज्य सरकार के अधिवक्ता, केंद्र सरकार के अधिवक्ता, एडीएम सिटी और एक अपर पुलिस आयुक्त मौजूद रहेंगे। फोटोग्राफर और वीडियोग्राफर कौन रहेंगे, इस संबंध में एएसआई को निर्णय लेना है। हिंदू पक्ष की तरफ से वकील सुधीर त्रिपाठी, सुभाष नंदन चतुर्वेदी, अनुपम द्विवेदी आदि रहेंगे। पुलिस कमिश्नर मुथा अशोक जैन ने सभी को बुलाकर संवाद किया।
हिंदू पक्ष की ओर से कैविएट दाखिल
सर्वे से संबंधित जिला जज की अदालत के फैसले के बाद हिंदू पक्ष ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की है। चार महिला वादिनी सीता साहू, रेखा पाठक, मंजू व्यास और लक्ष्मी देवी के अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की जा चुकी है।
मां श्रृंगार गौरी मुकदमे की एक अन्य वादिनी राखी सिंह की तरफ से इलाहाबाद हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल की गई है। उनके अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने बताया कि राखी सिंह ASI से सर्वे के समर्थन में हैं। कैविएट इसलिए दाखिल की गई है कि किसी भी आदेश से पहले उनके पक्ष को सुना जाए।
ASI से सर्वे के खिलाफ मसाजिद कमेटी पहुंची सुप्रीम कोर्ट
ASI सर्वे संबंधी जिला जज की अदालत के आदेश के खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की है। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव सैयद मोहम्मद यासीन ने कहा कि ASI सर्वे का आदेश देकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना की गई है। जिला जज की अदालत का आदेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है।
ज्ञानवापी में मिले कथित शिवलिंग के साइंटिफिक सर्वे और कॉर्बन डेटिंग पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी है। 12 मई 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में स्थित ठोस संरचना की कार्बन डेटिंग और वैज्ञानिक सर्वेक्षण का आदेश दिया था। SC ने कहा था कि ज्ञानवापी के इस मामले में संभलकर चलने की जरूरत है। ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति की तरफ से वकील हुजेफा अहमदी की याचिका पर सुनवाई हुई थी।
सर्वे का मामला एक नजर में
अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने वाराणसी के सिविल जज के सामने एक वाद दायर किया था। इसमें उन्होंने ज्ञानवापी के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा और दर्शन करने की अनुमति देने की मांग की थी। महिलाओं की याचिका पर जज ने ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराने का आदेश दिया था। कोर्ट के आदेश पर पिछली साल तीन दिन तक सर्वे हुआ था।
सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने यहां शिवलिंग मिलने का दावा किया था। दावा था कि ज्ञानवापी के वजूखाने में शिवलिंग है। हालांकि मुस्लिम पक्ष का कहना था कि वो शिवलिंग नहीं, बल्कि फव्वारा है जो हर मस्जिद में होता है। इस मामले की सुनवाई कोर्ट में पूरी हो गई थी। जिला जज ने ऑर्डर रिजर्व कर लिया था। 16 मई 2023 को चारों वादिनी महिलाओं की तरफ से हिंदू पक्ष ने एक प्रार्थना पत्र दिया था, जिसमें मांग की गई थी कि ज्ञानवापी के विवादित हिस्से को छोड़कर पूरे परिसर की ASI से जांच कराई जाए। 21 जुलाई को इसी याचिका पर कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए ASI सर्वे की इजाजत दे दी है।