acn18.com कोरबा/बोर्ड एग्जाम का नाम सुनते ही बच्चों के मन में एक अलग ही डर बैठ जाता है. बच्चों को लगता है कि बोर्ड एग्जाम होम बोर्ड से अलग होता है और बेहद ही कठिन प्रश्न पूछे जाते हैं. खासकर ऐसे बच्चे जो पहली बार दसवीं का बोर्ड पेपर देते हैं. उनके मन मे बोर्ड पेपर को लेकर काफी डर देखा जाता है। इस विषय को लेकर कोरबा के मेडिकल कॉलेज में पदस्थ मनोरोग विशेषज्ञ डॉ नीलिमा महापात्र से विशेष बातचीत की गई।
मनोरोग विशेषज्ञ ने बताया कि एग्जाम का डर बच्चों के दिमाग से निकलना बेहद जरूरी होता है. परीक्षा का डर बच्चों के मन को विचलित कर देता है और अच्छी तैयारी करने के बावजूद भी बच्चे अपना बेहतर प्रदर्शन परीक्षा में नहीं कर पाते. इसलिए सबसे पहले पेरेंट्स अपने बच्चों के मन से एग्जाम का डर और प्रेशर खत्म करना चाहिए. बच्चों को बताएं कि तैयारी अच्छे से करो और परिणाम की चिंता ना करो. क्योंकि एग्जाम के पहले ही बच्चे परीक्षा के परिणाम के बारे में सोचने लगते हैं. बच्चों के मन में इस दौरान बहुत सारी बातें आती है जैसे की अगर पेपर बिगड़ गया तो घर में मार पड़ेगी, दोस्त ज्यादा अच्छा नंबर ले आए तो मजाक उड़ाया जायेगा ऐसी बहुत बातें बच्चों के मन में चलती रहती है. और जब बच्चे एग्जाम हॉल में जाते हैं तब उनका मन विचलित हो जाता है और अपना बेहतर परफॉर्मेंस नहीं कर पाते।
मनोरोग विशेषज्ञ ने बताया कि परीक्षा के पहले बच्चों को समझाया जाए कि परिणाम अच्छा होगा तुम बेहतर कर पाओगे. बच्चों को किसी और से कंपेयर ना करें. ज्यादा नंबर लाने के लिए बच्चों को प्रेशर भी ना दे. एग्जाम हॉल में जाने के बाद बच्चे शांति से बैठकर पहले प्रश्न पत्र को देखें. फिर सोचें और लिखना शुरू करें।