Acn18.com रायपुरl नव वर्ष के उपलक्ष्य में संकेत साहित्य समिति द्वारा वृंदावन हॉल रायपुर में भाषाविद् ,संगीतज्ञ एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ चितरंजन कर के मुख्य आतिथ्य, वरिष्ठ व्यंग्यकार गिरिश पंकज की अध्यक्षता एवं प्रख्यात लेखिका स्नेहलता झा ,महेश शर्मा ,जे.के.डागर एवं वीर अजीत शर्मा के विशिष्ट अतिथ्य में काव्य गोष्ठी ,विमर्श एवं लोकार्पण का वृहद आयोजन कवयित्री पल्लवी झा के संयोजन एवं हरिभूमि चौपाल के संपादक डॉ.दीनदयाल साहू के संचालन में किया गया। माँ सरस्वती की की पूजा -वंदना के पश्चात समिति के संस्थापक एवं प्रांतीय अध्यक्ष डॉ.माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’ ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि साहित्य समितियां निस्वार्थ भाव से कल्पना, विचार एवं तात्विकता से युक्त बौद्धिक तर्क-वितर्क की शक्ति प्रदान करने का केन्द्र होती हैं। निर्भर करता है ग्रहण करने वाले पर कि वह कितना ग्रहण कर पाता है । मुख्य अतिथि की आसंदी बोलते हुए डॉ.चितरंजन ने कहा कि कला का संबंध काल से होता है । काल और कला एक ही धातु से बने हैं। काल निरंतर एवं असीम होता है जबकि कला क्षणमात्र की होती है। निरंतरता को क्षणमात्र में नापने की कला है कविता। तुक का मतलब केवर तुकबंदी नहीं विषय से संबद्धता भी होता है । दूसरों को पढ़ने से अपने अंदर का लोहा चुंबन बनता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रख्यात व्यंग्यकार गिरिश पंकज ने मौजूदा साहित्यिक परिवेश को रेखांकित करते हुए कहा कि साहित्य लंबी साधना माँगता है। मंच को जो साधना चाहते हैं वो साधना से दूर हो जाते हैं। मंचीय कवि, कवि कम मसखरा अधिक होते हैं। हमें मसखरा नहीं खरा बनना है। यदि हम साहित्य के लिए कुछ करना चाहते हैं तो मंच का मोह छोड़ना होगा। लंबी रेस का घोड़ा बनने के लिए मंच को ध्यान में न रखकर साहित्य को ध्यान में रखकर लिखना होगा। समिति के सचिव प्रसिद्ध कथाकार प्रो.सी.एल.साहू ने काव्य गोष्ठी के दौरान हो रहे विमर्श को साहित्य के उन्नयन एवं विकास लिए लाभदायक निरुपित किया। काव्य गोष्ठी में राजधानी एवं प्रदेश के विभिन्न स्थानों से आए जिन साहित्यकारों काव्य पाठ किया उनमें अतिथियों के अलावा योगेश शर्मा , लतिका भावे, राजेन्द्र ओझा, पल्लवी झा रूमा, सुषमा पटेल, श्रवण चोरनेले, डॉ.रवीन्द्र सरकार, बीबीपी मोदी,पूर्वा श्रीवास्तव, माधुरी कर, गणेश दत्त झा, बृजेव कुमार सिंह, बृजेश कुमार सिंह,लारजी साहू,डॉ.रणजीत कुमार प्रजापति, छविलाल सोनी, शुभ्रा ठाकुर, वृंदा पंचभाई, रजनीश श्रीवास्तव, नव्या ठाकुर, भूमि ठाकुर, मीनेश कुमार साहू, प्राची ठाकुर, नवीन कुमार सोहानी के नाम प्रमुख हैं। कार्यक्रम के दौरान डॉ.दीनदयाल साहू के हिन्दी व्यंग्य संग्रह अर्थ से अर्थी तक का लोकार्पण भी अतिथियों द्वारा किया गया। काव्य गोष्ठी में पढ़ीं गई रचनाओं के कुछ अंश बानगी के तौर पर –
• लोकतंत्र की रोटी खाते करते हैं मनमानी
देश के नेता संसद की करते हैं बदनामी
*वीर अजीत शर्मा*
•साहित्य के रस से समाज को /सुगंधित करने वाला पथिक/
राह से भ्रमित न हो जाए/इसी कारण अपनी लेखनी/ का सम्मान करता रहता हूं
*बीबीपी मोदी*
• मेरी टाँग तोड़ मत देना मेरा साथ छोड़ मत देना
हर लिपि की हूँ रानी लिखना मेरी अलग कहानी लिखना
*डॉ.रवीन्द्र सरकार*
• मेरी माँ की यादें मुझको जब-जब आती है ।
पावन गंगा सी भक्ति चंदन बन जाती है
*सुषमा पटेल*
• नवल वर्ष शुभकामना, देते बारंबार।
हृदय पुष्प यूँ खिल उठें,महके आँगन द्वार।।
दर्शन देंगे राम जी, झूमेगा संसार।
सतयुग सा जीवन बने,भरे पुण्य भंडार।।
*पल्लवी झा ‘रूमा’*
•हो सबको मुबारक साल नया
जीवन सबका खुशहाल रहे ।
घर घर खुशियों का डेरा हो ।
हंसता गाता ये साल रहे ।
*छवि लाल सोनी*
•कल रहा जो वही आज का हाल है
बोलने के लिए ये नया साल है
इस क़दर बिगड़ा माहौल चारों तरफ
काग भी चल रहा हंस की चाल है
*डॉ.माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’*
•सृजन का वक्त है लंबा अभी तो दूर जाना है
रुके न पैर ये मेरे यही संकल्प ठाना है
बहुत सी मुश्किलें भी पेश आएंगी मगर साथी
भुजाओं में है कितना दम इसे ही आजमाना है
*गिरिश पंकज*
•कबतक उड़ता जाए पंछी अरमानों के पंख पसारे
कौन अभी तक गिन पाया है आसमान पर कितने तारे
गीतों ने बाँध लिया बहते समय को
सूरज में चंदा में रहते समय को
रात गई सुबह गई ,सुबह गई शाम हुई
सुख ने सबकुछ लूटा पीरा बदनाम हुई
देखा जब आपने दर्पण के सामने
खुद ही अपनी गाथा कहते समय को …
*डॉ.चितरंजन कर*
कार्यक्रम के अंत में संयोजिका पल्लवी झा ने आमंत्रित अतिथियों ,प्रतिभागी रचनकारो एवं श्रोताओं को संकेत साहित्य समिति की ओर से आभार व्यक्त किया।
●●●●●●●●●