spot_img

जांच से पहले कमिश्नर ने दी क्लीन चिट:तीसरी मंजिल को बताया अवैध, पीड़ित व्यापारी को मिले 10 लाख रुपए;शनिवार को ढह गई थी बिल्डिंग

Must Read

Acn18.com/बिलासपुर में तीन मंजिला मकान ढहने के बाद नगर निगम ने अब इस हादसे के लिए दोषी ठेकेदार और अफसरों को बचाने की कोशिश शुरू कर दी है। निगम आयुक्त कुणाल दुदावत ने हादसे की जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी गठित की है।

- Advertisement -

लेकिन, जांच से पहले ही उन्होंने बिल्डिंग की तीसरी मंजिल को अवैध बताकर ठेकेदार संघ की ओर से पीड़ित व्यापारी को 10 लाख रुपए मुआवजे का मरहम लगाकर मानवीय तौर पर मदद करने की बात कहकर दोषी ठेकेदार और अफसरों को क्लीन चिट दे दी है। ऐसे में जांच कमेटी और उसकी जांच पर सवाल उठने लगा है।

पहले जान लेते हैं क्या है पूरा मामला

मंगला चौक में शनिवार की सुबह तीन मंजिला इमारत गिरने के बाद स्थानीय व्यापारियों ने जमकर हंगामा मचाया। व्यापारियों ने पीड़ित श्रीराम मेडिकल स्टोर और ज्वेलरी शॉप के संचालक को मुआवजा राशि देने की मांग पर अड़ गए। इस दौरान विधायक शैलेष पांडेय ने उनकी सुलह कराई और बाततीच की, तब जाकर दोपहर बाद व्यापारी मलबा हटाने के लिए राजी हुए। व्यापारियों की मांग पर नगर निगम के ठेकेदार संघ की ओर से 10 लाख रुपए की मुआवजा राशि दी गई। तब जाकर मामला शांत हुआ।

जांच से पहले ही नगर निगम ने दी सफाई
निगम कमिश्नर का कहना है कि, बिल्डिंग को अवैध तरीके से आगे बढ़ाते हुए नाले के ऊपर बनाया गया था। नाली की दीवार पर तीनों मंजिल का पूरा भार दे दिया गया था। कमजोर नींव पर अधिक भार इस हादसे की एक प्रमुख वजह है। बताया गया कि मंगला चौक स्थित श्री राम मेडिकल स्टोर की जमीन नीलम गुप्ता के नाम पर है। उन्होंने नगर निगम से ग्राउंड समेत दो फ्लोर के निर्माण की अनुमति ली थी, जिसमें तकनीकी नियम के मुताबिक नाला से एक तरफ 6 फीट और दूसरी तरफ 5 फीट 3 इंच की दूरी पर निर्माण किया जाना था।

लेकिन, भवन मालिक द्वारा अवैध तरीके से अतिक्रमण करते हुए दोनों तरफ को अपने कब्जे में लेकर नाला के ऊपर ही के निर्माण करा लिया गया, जिसके ऊपर पूरी बिल्डिंग का भार था। बाद में भवन मालिक द्वारा बिना अनुमति नक्शा पास कराए तीसरे फ्लोर का भी निर्माण करा लिया गया। तीनों मंजिल का भार सामने की तरफ बिना नाली के दीवार पर था। वर्तमान में निगम द्वारा मंगला चौक में कल्वर्ट और नाला निर्माण किया जा रहा है, जिसमें निर्माण के दौरान नाली की दीवार यथावत है।

नाली की दीवार यथावत तो आखिर कैसे गिरी बिल्डिंग
नगर निगम ने प्रारंभिक तौर पर बताया कि कल्वर्ट और नाला बनाने के लिए बनी दीवार यथावत थी और वहां गड्‌ढा खोदने की वजह से बिल्डिंग नहीं गिरी है। तो सवाल उठता है कि दीवार पर भवन की नींव टिके होने के बाद आखिर भवन कैसे गिर गया। नगर निगम के अफसरों ने इस पर अब तक कोई जवाब नहीं दिया है।

पांच सदस्यीय टीम करेगी जांच
इस पूरे घटनाक्रम की जांच के लिए निगम कमिश्नर कुणाल दुदावत ने अपर आयुक्त राकेश जायसवाल की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय टीम का गठन किया है, जो पूरे मामले की जांच करके रिपोर्ट देंगे, जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। वहीं, व्यापारियों का कहना है कि जब नगर निगम ने यह पहले से ही स्पष्ट कर दिया है कि बिल्डिंग निर्माण में ही खामियां है, तो फिर जांच किसलिए कराई जा रही है।

ठेकेदार को बचाने बिल्डिंग निर्माण को ठहराया जा रहा गलत
एक तरफ नगर निगम ने बिल्डिंग गिरने के लिए अवैध निर्माण और तकनीकी खामियों को प्रमुख वजह बताया है। वहीं, दूसरी तरफ ठेकेदार को क्लीन चिट देने की कोशिश भी शुरू कर दी है। यही वजह है कि नगर निगम ने भवन के धराशायी होने जाने पर हानि को देखते हुए नगर निगम के ठेकेदार संघ की ओर से मानवीयता के आधार पर दुकान मालिक को 10 लाख रुपए की सहायता राशि देने की बात कही है।

ठेकेदार और दोषी अफसरों के बारे में कोई बयान नहीं
नगर निगम ने प्रारंभिक बिल्डिंग ढहने के लिए एक फ्लोर बिना नक्शे के निर्माण के साथ ही दोनों तरफ 6 फीट अतिक्रमण करने और जगह नहीं छोड़ने की बात कही है। इसके अलावा निर्माण को आगे बढ़ाते हुए नाली के ऊपर अवैध निर्माण करने की भी जानकारी दी है। लेकिन, इसे बिना नक्शे के अवैध निर्माण के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई है।

अब निगम आयुक्त ने जर्जर भवनों के सर्वे करने दिए निर्देश
निगम कमिश्नर दुदावत ने शहर के सभी जर्जर और जनहानि के मद्देनजर खतरा बन चुके भवनों का सर्वे कर उन्हें चिह्नित करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए नगर निगम की टीम को तीन दिन के भीतर ऐसे सभी भवनों की जानकारी देने के लिए कहा गया है। साथ ही निगम आयुक्त ने यह भी कहा है जांच कमेटी गठित कर रिपोर्ट मांगी गई है, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

मेयर बोले- ठेकेदार और दोषी अफसरों पर हो सख्त कार्रवाई

शहर के बीच शहर में स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनी की ओर से काम कराया जा रहा है। जिसमें नगर निगम का कोई हस्तक्षेप नहीं है। इसलिए अधिकारी-कर्मचारी और ठेकेदार मनमानी कर रहे हैं। स्मार्ट सिटी के काम में न तो कोई प्लानिंग है और न ही समय सीमा तय है। सिर्फ सरकारी पैसों को खर्च करने के लिए काम कराया जा रहा है। अब समय आ गया है कि ऐसे दोषी अधिकारी-कर्मचारी और ठेकेदारों पर सख्ती से कार्रवाई की जाए।

377FansLike
57FollowersFollow
377FansLike
57FollowersFollow
Latest News

*मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने बिलासपुर में ’श्री रामसेतु मार्ग’ का किया लोकार्पण*

Acn18.com रायपुर, 23 नवंबर 2024/मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने शनिवार की शाम बिलासपुर के रिवर व्यू पर बने श्री...

More Articles Like This

- Advertisement -