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जिसकी वजह से गई थी जोगी की सत्ता ? छत्तीसगढ़ की राजनीती में भूचाल लाने वाले बहुचर्चित जग्गी हत्याकांड के 28 आरोपियों को मिली उम्र कैद की सजा, क्या हुआ था 4 जून की रात ?

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acn18.com बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में सन 2003 में सामने आएं पहले राजनीतिक बहुचर्चित हत्याकाण्ड रामावतार जग्गी मर्डर केस में कोर्ट का फैसला आया हैं। इस मामले में पूर्व में 23 आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी। अब सजा के खिलाफ अपील करने वाले सभी 28 आरोपियों की याचिका ख़ारिज करते हुए कोर्ट ने सभी की उम्र कैद की सजा को बरकरार रखा हैं। गौरतलब हैं कि रामावतार जग्गी एनसीपी के नेता थे। वह पूर्व दिवंगत केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल के बेहद करीबी नेता थे। उनकी हत्या मौदहापारा थाने के पास की गई थी। इस हत्याकांड में पूर्व दिवंगत सीएम अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी को भी आरोपी बनाया गया था लेकिन उन्हें बाद में बरी कर दिया गया था रिहा कर दिया गया था। वहीँ इस घटना के बाद ही माना जाता है पूर्व सीएम अजित जोगी को सत्ता गवानी पड़ी थी, वहीं 3 बार चुनाव में हाथ आजमाने के बाद भी उन्हें सत्ता वापसी का मौका नहीं मिल पाया।

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इन्हे सुनाई गई थी उम्र कैद की सजा
जग्गी हत्याकांड में दोषी अभय गोयल, याहया ढेबर, वीके पांडे, फिरोज सिद्दीकी, राकेश चंद्र त्रिवेदी, अवनीश सिंह लल्लन, सूर्यकांत तिवारी, अमरीक सिंह गिल, चिमन सिंह, सुनील गुप्ता, राजू भदौरिया, अनिल पचौरी, रविंद्र सिंह, रवि सिंह, लल्ला भदौरिया, धर्मेंद्र, सत्येंद्र सिंह, शिवेंद्र सिंह परिहार, विनोद सिंह राठौर, संजय सिंह कुशवाहा, राकेश कुमार शर्मा, (मृत) विक्रम शर्मा, जसवंत, विश्वनाथ राजभर की ओर से अपील की गई थी। इनमें राकेश शर्मा की मौत हो चुकी है। उम्र कैद की सजा पाने वालों में शूटर चिमन सिंह, यहाया ढेबर, आरसी त्रिवेदी, ए एस गिल, वीके पांडे समेत दो सीएसपी व एक थाना प्रभारी शामिल हैं।

जानिए पूरा मामला

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदेश कोषाध्यक्ष व स्व. विद्याचरण शुक्ल के करीबी रहे रामअवतार जग्गी की 4 जून 2003 को राजधानी रायपुर के मौदहापारा थाने के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। सीबीआई ने इस मामले में अमित जोगी सहित 31 लोगों को आरोपी बनाया था। विशेष अदालत ने 2007 में अमित जोगी को बरी कर दिया था, जबकि 23 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। दो आरोपी सरकारी गवाह बन गए थे। अन्य लोगों को 5-5 साल की सजा सुनाई गई थी, जिनमें दो सीएसपी सहित 3 पुलिस कर्मी भी शामिल थे। अभियुक्तों ने हाईकोर्ट में सजा के खिलाफ अपील दायर की थी। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की डिवीजन बेंच ने 28 फरवरी से लगातार तीन दिन तक मामले की सुनवाई थी, जिसमें राज्य सरकार, सीबीआई तथा याचिकाकर्ताओं के वकीलों की ओर से दलीलें दी गई थी। सभी पक्षों को सुनने के बाद 2 मार्च को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। अब कोर्ट ने अपील करने वाले सभी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

स्व. जग्गी के बेटे सतीश जग्गी ने अमित जोगी को बरी करने के खिलाफ याचिका लगाई है। उनकी ओर से छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटिशन दायर होने के कारण सुनवाई रुकी हुई है।

अमित को सजा दिलवाने जारी रहेगी लड़ाई – सतीश जग्गी
सतीश जग्गी ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में कहा कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके पिता की आत्मा और जग्गी परिवार को सुकून मिला है। सतीश जग्गी ने कहा कि अमित जोगी के दोषमुक्ति के खिलाफ पेश क्रिमिनल अपील पर उनके अधिवक्ता बीपी शर्मा तर्क दिया और बताया कि हत्या कांड की साजिश तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित थी, जब सीबीआई की जांच शुरू हुई तब सरकार के प्रभाव में सारे सबूतों को मिटा दिया गया था। ऐसे केस में सबूत महत्वपूर्ण नहीं है. बल्कि षड्यंत्र का पर्दाफाश जरूरी है। लिहाजा, इस केस के आरोपियों को सबूतों के आभाव में दोष मुक्त नहीं किया जा सकता।।

पूर्व में जांच एजेंसियों ने अमित को मुख्य षडय़ंत्रकारी बताया था। एनसीपी के कोषाध्यक्ष रामअवतार जग्गी की हत्या 4 जून वर्ष 2003 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मौदहापारा इलाके में गोली मारकर की गई थी। उस समय एनसीपी के अध्यक्ष स्व. विद्याचरण शुक्ल थे। जिनकी पूर्व सीएम स्व. अजीत जोगी से अदावत थी। इस बीच स्व. जग्गी की पत्नी ने पिछले दिनों सीएम विष्णुदेव साय को पत्र लिखकर अपने और परिवार की सुरक्षा मांगी है।

जानिए कौन था जग्गी

जग्‍गी जिनका पूरा नाम रामावतार जग्‍गी था। व्‍यावसायिक पृष्‍ठभूमि वाले जग्‍गी देश के कद्दावार नेताओं में शामिल विद्या चरण (वीसी) शुक्‍ल के बेहद करीबी थे। शुक्‍ल जब कांग्रेस छोड़कर राष्‍ट्रवादी कांग्रेस (एनसीपी) में पहुंचे तो जग्‍गी भी उनके साथ एनसीपी में आ गए। वीसी ने उन्‍हें छत्‍तीसगढ़ में एनसीपी का कोषाध्‍यक्ष बना दिया।

जानिए क्या हुआ 4 जून की रात

एनसीपी के बड़े आयोजन की तैयारी में रामावतार जग्‍गी जग्‍गी पूरी तरह व्‍यस्‍त थे। घटना 4 जून 2003 की है। रात करीब 11 बजे जग्‍गी अपनी कार से एमजी रोड से केके रोड की तरफ आ रहे थे। तभी मौदहापारा थाना से कुछ दूरी पर कुछ लोगों ने उनकी कार को रोका और गोली मार कर फरार हो गए। इस घटना में जग्‍गी गंभीर रुप से घायल हो गए हैं। जग्‍गी को पहले मौदहापारा थाना ले जाया गया। वहां से मेडिकल कॉलेज अस्‍पताल यानी अंबेडकर अस्‍पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। पुलिस इसे लूट की घटना बताती रही थी, वही जांच के बाद सोची समझी हत्या की साजिश का खुलासा हुआ।

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