छत्तीसगढ़ | छत्तीसगढ़ का बस्तर अपनी कला संस्कृति के नाम से एक अलग पहचान रखता हैं. यही नहीं यहाँ की परंपरा के लोग काफी दीवाने हैं. बस्तरवासियों का रहन सहन उनका खान-पान पुरे देश में विख्यात हैं. वहीं बस्तर का खान-पान विदेशी लोगों को भी खूब लुभाता हैं. पर्यटकों की द्रष्टिकोण से यह क्षेत्र काफी मनभावना हैं. अक्सर गर्मियों का मौसम आते ही लोग कोल्ड्रिंक और अन्य ठंडे पेयजलों का सेवन करते हैं और अपनी प्यास बुझाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं की छत्तीसगढ़ के बस्तर में वहां के रहवासी बाजारों की कोल्ड्रिंक नहीं बल्कि घर पर बनाया गया मड़िया पेज पीते हैं. मड़िया पेज ना सिर्फ एक पेय पदार्थ है बल्कि आदिवासियों की पहचान का एक हिस्सा भी है. यह एक ऐसा पेय पदार्थ है जो बस्तर के लोगों को लू की चपेट में आने से रोकता है और यहां के लोग गर्मी में इसका भरपूर इस्तेमाल करते हैं.
क्या होता है मड़िया पेज ?
आपको बता दें कि मड़िया जिसे रागी भी कहते है क्षेत्र में पैदा होने वाला एक मोटा अनाज होता है. जिसके आटे को मिट्टी के बर्तन में रातभर भिगा कर रखा जाता है. सुबह पानी में चावल डालकर पकाते हैं. चावल पकने पर उबलते हुए पानी में भिगाए हुए मड़िया के आटे को घोला जाता है. स्थानीय हलबी बोली में इसे पेज कहते हैं. इसका सेवन करने से शरीर को ठंडकता मिलती है और भूख भी शांत होती है. यह शरीर के लिए स्वास्थ्यवर्धक और लाभप्रद भी है. वहीं शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के साथ-साथ पाचन क्रिया को भी ठीक करता है. साथ ही यह ऊर्जा का मुख्य स्रोत भी है. इसमें मुख्य रूप से अमीनो अम्ल ,कैल्शियम, लौह तत्व, ग्लूकोज ,प्रोटीन ,फाइबर प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं.