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वृक्षों के प्रति गजब का स्नेह है अर्जुन श्रीवास को : विरासत में मिला है पर्यावरण प्रेम.कैंसर के मरीजों को भी कर चुके हैं रोग मुक्त

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भारत में कहीं भी औषधिय गुण के पौधे उपलब्ध होने की जानकारी मिलते ही वहां पहुंच जाने वाले अर्जुन श्रीवास ने अपना जीवन इसी तरह के पेड़ पौधों को समर्पित कर दिया है। अर्जुन का मानना है की पिता से विरासत में मिला यह शौक अब ऐसा नशा बन गया है जिसके बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती। अर्जुन का मानना है कि देश दुनिया में कहीं भी जो भी पेड़ पौधे हैं वह छत्तीसगढ़ में भी उगाए व लगाए जा सकते हैं।

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बालको से सेवानिवृत्ति के पश्चात अपना जीवन औषधीय गुण वाले पेड़ पौधों को समर्पित कर मानव सेवा में रत अर्जुन श्रीवास्तव ने बताया कि उन्हें यह शौक उनके पिता से मिला। उन्होंने बताया कि औषधीय गुण वाले पेड़ पौधों को नष्ट होते देख उन्होंने इनके संरक्षण का प्रण किया और अन्य राज्यों से भी पौधे लाकर उन्हें अपने बगीचे में जीवन दिया अर्जुन श्रीवास के बगीचे में ऐसे वृक्ष भी है जिनकी छाल व पत्तियों के रस से कैंसर जैसे रोगों को ठीक किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि शुगर ब बीपी पर नियंत्रण करने के लिए उनके पास तमाम औषधीयां हैं। अर्जुन श्रीवास बताते हैं कि कोई भी पौधा लाकर छत्तीसगढ़ में लगाया जा सकता है उसके लिए मिट्टी की परख आवश्यक हैपारंपरिक वेद और पर्यावरण प्रेमी अर्जुन श्रीवास का मानना है की एलोपैथी ऑपरेशन के लिए तो ठीक है लेकिन रोगों को जन्म न लेने देने और रोग को हमेशा के लिए नष्ट करने में आयुर्वेद ही सक्षम है।

अर्जुन श्रीवास ने बताया कि जिला और छत्तीसगढ़ प्रशासन से उन्हें कुछ मानसिक सहयोग तो मिलता है लेकिन आवश्यकता है औषधीय गुण वाले पेड़ पौधों व जड़ी बूटियां को बचाए रखने के लिए गंभीर प्रयास की।

बहरहाल अर्जुन श्रीवास जैसे लोग ही हैं जिनके प्रयास से अभी भी सबसे प्राचीन भारतीय विधा महफूज है। इसे पुनः जन-जन तक पहुंचाने के लिए जन जागरण और राजाश्रय की आवश्यकता है।
राजा के साथ कमलेश यादव

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