acn18.com कोरबा/पीड़ितों को समय पर उपचार मिले इसके लिए सरकार ने एंबुलेंस की सुविधा निशुल्क उपलब्ध करवाई है लेकिन कई मामलों में इसके लिए तरसना पड़ रहा है। हालात ऐसे बन जाते हैं कि लापरवाही होने पर पीड़ित की मौत भी हो जाती है। गुरमा गांव की एक गर्भवती महिला की मौत यदि कारणों से हो गई गांव की मितानिन ने इसे लेकर कई खुलासे किए हैं।
श्यांग पुलिस थाना के अंतर्गत आने वाले गुरमा गांव में यह घटना हुई है। यहां पर रहने वाली 30 वर्षीय कलावती पति विनोद सिंह की प्रसव के 3 दिन के बाद मौत हो गई। इसके पीछे सरकारी तंत्र की लापरवाही एक बार फिर से उजागर हुई है। जनजाति बाहुल्य गांव गुरमा मैं निवासरत कलावती को प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने मितानिन को अवगत कराया था। जिस पर उसने 108 संजीवनी को संपर्क किया और जानकारी दी। वहां से गांव की दूरी ज्यादा होने का हवाला देकर एंबुलेंस भेजने में असमर्थता जाहिर की गई। किसी तरह से इस मामले को नियंत्रित किया गया और बाद में कलावती का प्रसव घर में ही हो गया। फिर इसके बाद कुछ कारणों से उसकी तबीयत खराब हुई।
मितानिन ने बताया कि प्राथमिक रूप से कुछ दवाएं पीड़िता को दी गई और इसके बाद उसे अस्पताल भिजवाया गया लेकिन आखिरकार उसकी मौत हो गई। बताया जा रहा है कि अगर समय पर एंबुलेंस यहां पहुंचती और सुरक्षित रूप से अस्पताल में कलावती का पता होता तो निश्चित रूप से आज वह जीवित होती।
कोरबा जिले में नेशनल एंबुलेंस सर्विस के अलावा सरकार के द्वारा विशेष रुप से गर्भवती महिलाओं के मामले में महतारी एक्सप्रेस 102 का संचालन किया जा रहा है। इस प्रकार की सुविधा के होते हुए अगर महिलाओं को ऐन मौके पर इसका लाभ नहीं मिल रहा है तो फिर इसकी उपयोगिता पर प्रश्नचिन्ह लगना स्वाभाविक है।