Acn18.com/पेड़ पर फल-फूल लटके हुए तो आसानी से देखे जा सकते हैं लेकिन क्या आप मोबाइल लटके होने की बात सोच भी सकते हैं। दूरदराज इलाकों में सिग्नल देने का दावा करने वाली में टेलीकाम कंपनियां के दावे खोखले साबित हो रहे हैं।
उत्तराखंड के नैनीताल जनपद में आज भी कई ऐसे गांव हैं जहां मोबाइल नेटवर्क नहीं है। डिजिटल क्रांति का युग आज भी लोगों के लिए एक सपना है। मोबाइल नेटवर्क की तलाश में लोग पेड़ों पर फोन लटका कर हवा चलने का इंतजार करते हैं। जिससे कि मोबाइल में नेटवर्क आ सके और वह अपने सगे संबंधियों से बात कर उनका हाल चाल जान सके। आपात स्थिति में 5-जी के दौर में यह लोग भगवान भरोसे हैं।
घरों से एक से दो किमी दूर जाकर नेटवर्क तलाशते हैं लोग
यह स्थिति है ओखलकांडा ब्लाक के दर्जनों गांवों की। जहां लोग अपने घरों से एक से दो किमी दूर क्षेत्र में जाकर नेटवर्क तलाशते हैं और संबंधियों से बातचीत व अन्य जरूरी कार्य करते हैं। ओखलकांडा के खड़ी तोक निवासी विजय बोरा बताते हैं कि गांव-गांव तक विकास की रोशनी फैलाने के बड़े-बड़े दावे करने वाली केंद्र और राज्य की सरकार का सच ओखलकांडा ब्लाक में दिखाई देता है।
सरकार 5-जी लांच करने की तैयारी कर रही है और ओखलकांडा के लूगड़, पटरानी, नैथन, ककोड़, हरीशताल, अधोड़ा, अमजड़, मिडार, सुवाकोट पोखरी, कौंता समेत कई ग्राम सभाओं में रह रहे लोग आज भी 19 वीं शताब्दी में जी रहे हैं। जहां के लोग डिजिटल युग में बात करने के लिए पेड़, पोलों व ऊंची पहाड़ियों का सहारा ले रहे हैं। लोग पेड़ों पर नेटवर्क पाने के लिए अपने मोबाइल फोन को पेड़ों पर बांधकर लटका देते हैं।
फोन की नहीं बजती घंटी
ओखलकांडा ब्लाक के कई ग्राम सभाओं के लोगों ने मोबाइल की घंटी नहीं सुनी। उनके मोबाइल पर फोन आता नहीं है। बल्कि वह बात करने के लिए घर से एक से दो किमी दूर जाते हैं। जहां निर्धारित स्थान पर ही बीएसएनएल व एयरटेल का हवा चलने पर नेटवर्क आता है। अगर थोड़ा सा भी हिल गए तो नेटवर्क गायब हो जाता है।
अधिकारियों का कर चुके हैं कई बार घेराव गांव के विजय बोरा, पुष्कर सिंह मेहता, हरक सिंह बोहरा, पान सिंह मटियाली, जगजीवन, दिलीप सिंह समेत कई ग्रामीणों ने बताया कि नेटवर्क की समस्या दूर करने के लिए कई बार बीएसएनल के अधिकारियों का घेराव कर चुके हैं लेकिन आज तक समस्या का समाधान नहीं हो सका।
मोबाइल नेटवर्क के शेडो एरिया में फोर जी सेचुरेशन योजना के तहत नए टावर लगाए जा रहे हैं। इसमें ओखलकांडा के कई संचार विहीन क्षेत्र भी शामिल है। इसकी प्रक्रिया गतिमान है। जल्द इन क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क की समस्या दूर होगी।