acn18.com नई दिल्ली/साल में एक रात ऐसी भी आती है जब दुनिया की अधिकांश आबादी वाला क्षेत्र एक पल के लिए अंधेरे का सामना कर रहा होगा। वैज्ञानिकों ने रात के अंधकार के इस समय को वैश्विक अंधकार का क्षण कहा है।
भारतीय तारा भौतिकी संस्थान बंगलुरु के रिटायर्ड खागिलविद प्रो आरसी कपूर ने बताया कि एशिया, अफ्रीका व यूरोप का अधिकांश हिस्से में रात हो रही होगी और सर्वविदित है कि दुनिया की अधिकांश आबादी इन्ही महाद्वीपों में निवास करती है।
सूर्य की रोशनी में होंगे दुनिया के कुछ हिस्से
हांलाकि इस समय दुनिया के कुछ हिस्से सूर्य की रोशनी में होंगे। इन क्षेत्रों में अमेरिका, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के अधिकांश भाग शामिल होंगे। आबादी के हिसाब से इन क्षेत्रों में दुनिया की सबसे कम आबादी है। वैज्ञानिकों ने कुछ महीने पहले आबादी वाले क्षेत्र में दिन की रोशनी का कंप्यूटर के जरिए पता लगाया।
अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी विज्ञान सूचना नेटवर्क केंद्र से एकत्र किया यह डेटा
यह आंकड़े कोलंबिया विश्वविद्यालय में वैज्ञानिकों ने अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी विज्ञान सूचना नेटवर्क केंद्र से यह डेटा एकत्र किया। तब दिन की आधिकांश रोशनी का पता चला कि आठ जुलाई को दुनिया के सबसे अधिक हिस्से में सूर्य की रोशनी पड़ती है। जिसके चलते यही से विश्व के अधिकांश हिस्से में रात के अंधेरे का पता लगाया गया।
जिस समय यह वक्त आएगा, उस समय भारतीय समय अनुसार रात का 1:26 बज रहा होगा। वैज्ञानिकों ने रात के अंधकार के इस समय को वैश्विक अंधकार का क्षण कहा है।
वरिष्ठ खगोल विज्ञानी का कहना कि यह स्वाभाविक
इधर आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डा शशिभूषण पांडेय का कहना है कि यह स्वाभाविक है। क्योंकि दिन रात के घटने बढ़ने का क्रम पूरे वर्ष चलता है। इस क्रम में उत्तरी व दक्षिणी गोलार्ध में साल की सबसे लंबी रात व दिन होता है। साथ ही वर्ष में दो दिन ऐसे भी होते हैं, जब दिन व रात का समय बराबर हो जाता है।