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अगहन महीने की अमावस्या 23 नवंबर को:इस पर्व पर स्नान-दान और पितरों की पूजा से मिलता है पुण्य, पीपल पूजा का भी महत्व

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मार्गशीर्ष यानी अगहन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 23 नवंबर को है। इस दिन बुधवार का संयोग बन रहा है। इस दिन तीर्थ में या पवित्र नदियों के पानी से नहाने से पुण्य मिलता है। अमावस्या पर श्राद्ध करने से पितरों को संतुष्टि मिलती है। पुराणों के अनुसार मार्गशीर्ष मास भगवान श्री कृष्ण के प्रिय महीनों में एक माना जाता है। इसलिए इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा करने का भी महत्व है।

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मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि : पंचांग के मुताबिक, अगहन महीने की अमावस्या 23 नवंबर, बुधवार को सुबह 06.50 से शुरू होगी। जो कि अगले दिन यानी 24 नवंबर को सुबह 04.26 तक रहेगी। इस तरह मार्गशीर्ष अमावस्या 23 नवंबर रहेगी।

पितरों का पर्व: इस दिन स्नान-दान के साथ पितरों का तर्पण, श्राद्ध करना फायदेमंद होता है। किसी भी महीने की अमावस्या को पितरों का तर्पण, अशुभ दोष निवारण आदि के लिए बड़ा ही श्रेष्ठ माना जाता है। मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि पर देवी लक्ष्मी की भी पूजा विशेष फलदायी होती है।

व्रत रखें : मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन संभव हो तो व्रत रखें और क्षमता अनुसार, जरूरतमंदों में अन्न, वस्त्र आदि का दान करें। संध्या के समय पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा और व्रत करने से सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके साथ ही इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने से हर दुख-दर्द से मुक्ति मिलने की भी मान्यता है।

महत्व : अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान करना बेहद शुभ फलदायी माना गया है। घर पर स्न्नान के जल में पवित्र नदियों का जल मिश्रित कर भी स्नान कर सकते हैं। ये दिन कालसर्प दोष, पितृदोष निवारण आदि के लिए भी श्रेष्ठ माना गया है।

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