acn18.com कोरबा/हमारे समाज में ऐसे कई नियम बनाए गए है जिनका अनुसरण करना बेहद जरुर है लेकिन कई बार ऐसी परिस्थितियां निर्मित हो जाती है जिसके कारण नियम से परे जाकर उस कार्य को करना पड़ता है। हिंदू धर्म मेें माता-पिता के निधन के बाद उनकी चिता को मुखाग्नि देने का अधिकार सिर्फ पुत्र को ही होता है लेकिन पुत्र नहीं होने की स्थिती में शहर के प्रतिष्ठित व्यक्ति अमर कृष्ण बैनर्जी के निधन बाद उनकी चिता को तीनों पुत्रियों ने मुखाग्निी दी और अपना धर्म निभाया।
हिंदू धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक ऐसे कई नियम बनाए गए हैं जिनका पालन करना बेहद जरुर है। नियमों का पालन नहीं करने से कई तरह के सवाल भी उठते हैं लेकिन कई बार इस तरह की परिस्थितियां निर्मित हो जाती है,कि नियमों के परे जाकर उस कार्य को पूरा करना पड़ता है। शहर के षिवाजी नगर में ऐसा ही कुछ देखने को मिला जब प्रतिष्ठित व्यक्ति ए.के.बैनर्जी के निधन पर उनका अंतिम संस्कार पुत्र के बजाए उनकी तीन पुत्रियों को करना पड़ा। उनके निधन के बाद तीनों पुत्रियों ने ही मुखाग्निी दी और अगले दस दिनों तक होने वाले श्राद्ध के सभी नियम भी उनके द्वारा ही पूरा किया जाएगा। हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार से लेकर श्रद्धा तक के सभी कर्मकांड पुत्रों के द्वारा ही किया जाता है लेकिन पुत्र नहीं होने की स्थिती में पुत्रियों के द्वार यह सब कार्य करने पड़ते है।
पिता के निधन के बाद पुत्रियों ने दी मुखाग्नि : समाज के नियमों से परे जाकर किया काम ,श्रद्धा की रस्में भी उनके द्वारा निभाई जाएगी pic.twitter.com/qNUZkBbh5A
— acn18.com (@acn18news) January 22, 2023
कोरबा शहर में यह पहली बार नहीं हुआ है,जब अपने माता या फिर पिता की चिता को किसी पुत्री ने मुखाग्निी दी है। बदलते दौर के साथ ही इस तरह के तस्वीअर अक्सर सामने आ जाते है जहां समय की मांग को देखते हुए समाज के नियमों को तोड़कर यह सब कार्य करने होते है। बहरहाल तीनों पुत्रियों ने अपने पिता की चिता को आग दी और षिवरीनारायण में उनकी अस्थियों को प्रवाह कर दिया। अब अगले दस दिनों तक उनके श्राद्ध से संबंधित कार्य भी उनके द्वारा की संपन्न कराया जाएगा।