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प्राण प्रतिष्ठा के बाद PM मोदी बोले- सदियों की प्रतीक्षा के बाद हमारे राम आ गए

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acn18.comअयोध्या/लंबे बरसे के बाद आखिरकार अयोध्या में रामलला विराजमान हो गए हैं। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में देशभर की कई बड़ी हस्तियों ने शिरकत की। कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने वहां मौजूद लोगों को संबोधित किया। अपने भाषण की शुरुआत उन्होंने सियावर रामचंद्र की जय के जयकारे के साथ की।

पीएम मोदी बोले- आज हमारे राम आ गए हैं। 
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि  सियावर रामचंद्र की जय! आपको सबको प्रणाम, सबको राम-राम! आज हमारे राम आ गए हैं। उन्होंने कहा कि सदियों की प्रतीक्षा के बाद हमारे राम आ गए हैं। सदियों का अभूतपूर्व धैर्य, अनगिनत बलिदान, त्याग और तपस्या के बाद हमारे प्रभु राम आ गए हैं। इस शुभ घड़ी की आप सभी को, समस्त देशवासियों को बधाई। मैं गर्भगृह में ईश्वरीय चेतना का साक्षी बनकर आपके सामने उपस्थित हुआ हूं।

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शरीर स्पंदित है, चित्त अभी भी उस पल में लीन है- पीएम 

उन्होंने कहा कि कितना कुछ कहने को है, लेकिन कंठ अवरूद्ध है, शरीर स्पंदित है, चित्त अभी भी उस पल में लीन है। हमारे रामलला अब टेंट में नहीं रहेंगे। हमारे रामलला अब दिव्य मंदिर में रहेंगे। मेरा पक्का विश्वास है, अपार श्रद्धा है, जो घटित हुआ है, इसकी अनुभूति देश और विश्व के कोने-कोने में राम भक्तों को हो रही होगी। यह क्षण आलौकिक है। यह पल पवित्रतम है। यह माहौल, वातावरण, यह घड़ी, प्रभु श्रीराम का हम सब पर आशीर्वाद है।

दिव्य आत्माओं की वजह से यह कार्य पूरा हुआ है- पीएम मोदी
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि दैवीय आशीर्वाद और दिव्य आत्माओं की वजह से यह कार्य पूरा हुआ है। मैं इन सभी दिव्य चेतनाओं को भी नमन करता हूं। मैं आज प्रभु श्रीराम से क्षमा याचना भी करता हूं। हमारे पुरुषार्थ, हमारे त्याग, तपस्या में कुछ तो कमी रह गई होगी कि हम इतनी सदियों तक ये कार्य कर नहीं पाए। आज वो कमी पूरी हुई है। मुझे विश्वास है कि प्रभु राम आज हमें अवश्य क्षमा करेंगे। लंबे वियोग से आई आपत्ति का अंत हो गया है।

कई पीढ़ियों ने वियोग सहा है- पीएम मोदी
उन्होंने कहा कि त्रेतायुग में तो वह वियोग केवल 14 वर्षों का था, तब भी इतना असहनीय था। इस युग में तो अयोध्या और देशवासियों ने सैकड़ों वर्षों का वियोग सहा है। हमारी कई-कई पीढ़ियों ने वियोग सहा है। भारत के संविधान की पहली प्रति में भगवान राम विराजमान है। संविधान के अस्तित्व में आने के बाद भी दशकों तक प्रभु राम के अस्तित्व को लेकर कानूनी लड़ाई चली। मैं भारत की न्यायपालिका का आभार व्यक्त करूंगा, जिसने न्याय की लाज रख ली। न्याय के पर्याय प्रभु राम का मंदिर भी न्यायबद्ध तरीके से ही बना।

कालचक्र फिर बदलेगा 
आज शाम घर-घर राम ज्योति प्रज्वलित करने की तैयारी है। कल मैं श्रीराम के आशीर्वाद से राम सेतु के आरंभ बिंदु पर था। जिस घड़ी प्रभु श्रीराम समुद्र पार करने निकले थे, वह पल था, जिसने कालचक्र बदला था। उसे महसूस करने का विनम्र प्रयास था। अब कालचक्र फिर बदलेगा और शुभ दिशा में बढ़ेगा। अपने 11 दिन के व्रत अनुष्ठान के दौरान मैंने उन स्थानों का चरण स्पर्श करने का प्रयास किया, जहां प्रभु श्रीराम के चरण पड़े थे। चाहे नासिक हो, केरल हो, रामेश्वरम हो या फिर धनुषकोडी, मेरा सौभाग्य है कि सागर से सरयू तक की यात्रा का अवसर मिला। सागर से सरयू तक रामनाम का वही उत्सव छाया हुआ है। प्रभु राम तो भारत की आत्मा के कण-कण से जुड़े हुए हैं। हम भारत में कहीं भी किसी की अंतरात्मा को छुएंगे तो इसी एकत्व की अनुभूति होगी। संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि देश को समायोजित करने वाला इससे उत्कृष्ट सूत्र और क्या हो सकता है। देश के कोने-कोने में रामायण सुनने का अवसर मिला है। पिछले 11 दिनों में रामायण अलग-अलग भाषाओं में सुनने का मौका मिला है। राम को परिभाषित करते हुए ऋषिओं ने कहा है कि रमंते इति रामः।

राम आग नहीं, ऊर्जा हैं… राम सिर्फ हमारे नहीं, सबके हैं 
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि राम के इस काम में कितने ही लोगों ने त्याग और तपस्या की। अनगिनत लोगों, कारसेवकों, संत-महात्माओं के हम सब पर ऋण हैं। आज का अवसर उत्सवता का क्षण तो है ही, लेकिन यह क्षण भारतीय समाज की परिपक्वता के बोध का भी क्षण है। यह अवसर सिर्फ विजय का नहीं, विनय का भी है। दुनिया का इतिहास साक्षी है कि कई राष्ट्र अपने इतिहास में उलझ जाते हैं, जब देशों ने उलझी हुई गांठों को खोलने का प्रयास किया तो उन्हें सफलता पाने में कठिनाई आई है। लेकिन हमारे देश ने इतिहास की इस गांठ को जिस गंभीरता और भावुकता के साथ खोला है। यह बताता है कि हमारा भविष्य, हमारे अतीत से सुंदर होने जा रहा है।

उन्होंंने कहा कि वो भी एक समय था, जब कुछ लोग कहते थे कि राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी। ऐसे लोग भारत के सामाजिक भाव की पवित्रता को नहीं जानते थे। रामलला के इस मंदिर का निर्माण भारतीय समाज के शांति, धैर्य, आपसी सद्भाव का प्रतीक है। हम देख रहे हैं कि निर्माण किसी आग को नहीं, बल्कि ऊर्जा को जन्म दे रहा है। अपनी सोच पर पुनर्विचार कीजिए, राम आग नहीं हैं, ऊर्जा हैं। राम विवाद नहीं, राम समाधान हैं। राम सिर्फ हमारे नहीं, राम सबके हैं। राम वर्तमान ही नहीं, राम अनंत हैं।

‘यह सिर्फ दैव मंदिर नहीं बल्कि दिग्दर्शन का मंदिर है’
यह मंदिर मात्र एक दैव मंदिर नहीं है, यह भारत की दृष्टि का, दर्शन का, दिग्दर्शन का मंदिर है। यह राम के रूप में राष्ट्र चेतना का मंदिर है। राम भारत की आस्था हैं, भारत के आधार हैं। राम भारत का विचार है, विधान हैं। चेतना है, चिंतन हैं। प्रतिष्ठा हैं, प्रताप हैं। राम नेकी भी है, नीति भी है। नित्यता भी है, निरंतरता भी हैं। राम व्यापक हैं, विश्व है, विश्वात्मा हैं। जब राम की प्रतिष्ठा होती है तो उसका प्रभाव वर्षों, शताब्दियों तक नहीं होता, हजारों वर्षों के लिए होता है।

श्रीराम का भव्य मंदिर बन गया, अब आगे क्या-  पीएम मोदी
संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि आज अयोध्या भूमि सवाल कर रही है कि श्रीराम का भव्य मंदिर तो बन गया, अब आगे क्या। सदियों का इंतजार तो खत्म हुआ, अब आगे क्या। जो दैवीय आत्माएं हमें आशीर्वाद देने उपस्थित हुई हैं, उन्हें क्या हम ऐसे ही विदा करेंगे। आज मैं पूरे पवित्र मन से महसूस कर रहा हूं कि कालचक्र बदल रहा है। हमारी पीढ़ी को कालजयी शिल्पकार के रूप में चुना गया है। हजारों वर्ष बाद की पीढ़ी हमें याद करेगी। यही समय है, सही समय है। हमें आज इस पवित्र समय से अगले एक हजार साल के भारत की नींव रखनी है। मंदिर निर्माण से आगे बढ़कर सभी देशवासी समर्थ, सक्षम, भव्य, दिव्य भारत के निर्माण की सौगंध लेते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि राम के विचार जनमानस में भी हों, यही राष्ट्र निर्माण की सीढ़ी है। हमें चेतना का विस्तार देना होगा। हनुमान जी की भक्ति, उनकी सेवा, उनका समर्पण ऐसे गुण हैं, जिन्हें हमें बाहर नहीं खोजना पड़ता। प्रत्येक भारतीय में भक्ति, सेवा के भाव आधार बनेंगे। यही है देव से देश, राम से राष्ट्र की चेतना का विस्तार।

देव से देश और राम से राष्ट्र की चेतना का विस्तार
आदिवासी मां शबरी कब से कहती थी- राम आएंगे। प्रत्येक भारतीय में जन्मा यही विश्वास समर्थ, सक्षम, भव्य भारत का आधार बनेगा। हम सब जानते हैं कि निषाद राज की मित्रता सभी बंधनों से परे है। उनका अपनापन कितना मौलिक है। सब अपने हैं, सभी समान हैं। सभी भारतीयों में अपनत्व की भावना नए भारत का आधार बनेगी। यही देव से देश और राम से राष्ट्र की चेतना का विस्तार है। उन्होंने कहा कि आज देश में निराशावाद की जगह नहीं है। अगर कोई यह सोचे कि मैं सामान्य और छोटा हूं तो उसे गिलहरी को याद करना चाहिए। यह सिखाएगा कि छोटे-बड़े हर प्रयास की ताकत होती है, योगदान होता है। यही भावना समर्थ, सक्षम, भव्य, दिव्य भारत का आधार बनेगी। पीएम मोदी ने संबोधन के दौरान कहा कि आइए हम संकल्प लें कि राम काज से राष्ट्र काज करेंगे। समय का पल-पल, शरीर का कण-कण इसमें लगा देंगे।

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