acn18.comकोरबा /धारा 151 के मामलो में बिना सुनवाई के अभियुक्तों को जमानत देने या फिर जेले भेजे जाने को लेकर अधिवक्ताओं में आक्रोश का माहौल निर्मित हो गया है। अधिवक्ताओं का कहना है,कि प्रतिबंधात्मक कार्रवाई में अभियुवक्तों का पक्ष देखे सुने बिना मजिस्ट्रेट के द्वारा फैसला दे दिया जा रहा है,जो सर्वर्था गलत है। उन्होंने कोर्ट के बाबू पर भी पैसे मांगने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा,कि व्यवस्था सुचारु रुप से नहीं चली तो मजबूरन उन्हें धरना प्रदर्शन करना पड़ेगा।
कोरबा के जिला न्यायालय में धारा 151 के मामलों में बिना सुनवाई के ही जिस तरह से मजिस्ट्रेट के द्वारा फैसला दे दिया जा रहा है उसे लेकर अधिवक्ताओं में काफी नाराजगी देखी जा रही है। अधिवक्ताओं का कहना है,कि अन्य मामलों की तरह धारा 151 के मामलों में भी सुनवाई होती है जिसके बाद जज अपना फैसला सुनाते हैं लेकिन आज पांच मामलों की सुनवाई में चार को जेल भेज दिया गया जबकि एक को जमानत पर रिहा कर दिया गया। अधिवक्ताओं ने बताया,कि वे अभियुक्तों के जमानत के लिए मुचलका फॉर्म भी भरा और जरुरत पड़ने पर पट्टा पेश करने को भी तैयार थे लेकिन उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका तक नहीं मिला। इस स्थिती के लिए उन्होंन बाबू को जिम्मेदार ठहराया है क्योंकि उन्होंने बाबू को रिश्वत के दौरान पैसे नहीं दिए इस कारण पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया।
बाबू पर जिस तरह से पैसे मांगने का आरोप लगाया गया उसे लेकर हमने बाबू से पैसों की मांग की तब उसने इस बात से इंकार कर दिया। उसने बताया,कि बड़े बाबू के छुट्टी में होने पर उसके द्वारा पहली बार जज के सामने फाईल पेश किया गया है। रिश्वत मांगने की बात सिरे से गलत है।
अधिवक्ताओं ने स्पष्ट रुप से कह दिया है,कि बाकी के मामलों की तरह धारा 151 के मामलों की सुनवाई नहीं की गई तो उनके द्वारा प्रदर्शन किया जाएगा।
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