छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने जिस रणनीति के तहत पार्टी में आमूलचूल परिवर्तन किया है। वह उस पर भारी पड़ेगा। कांग्रेस के वरिष्ठ आदिवासी नेता और आबकारी मंत्री कवासी लखमा का तो यही आकलन है। कवासी ने कहा है, भाजपा को तो आदिवासी समाज और साहू लोग निपटा देंगे। उसके लिए हमारी भी जरूरत नहीं है।
कवासी लखमा ने कहा, वैसे तो संगठन में बदलाव भाजपा का अंदरुनी मामला है। लेकिन उनके युवा मोर्चा का नेता साहू (भाजयुमो के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अमित साहू) ने मुख्यमंत्री के घर का घेराव किया, उनकी छुट्टी कर दी गई। विश्व आदिवासी दिवस में आदिवासी लोगों को झटका दिया। आदिवासी लोग क्या माफ करेंगे? साहू लोग क्या माफ करेंगे? यहां तो पिछड़ा वर्ग और आदिवासी लोगों का बोलबाला है। आदिवासी को निपटाने के बाद ये लोग बचेंगे क्या? यहां तो आदिवासी लोग और साहू लोग निपटा देंगे। नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल पर टिप्पणी करते हुए कवासी लखमा ने कहा, चंदेल को अभी नई-नई जिम्मेदारी दी गई है। उन्हें खुद नहीं मालूम कि मैं किधर का हूं। चंदेल के निशाने में बृजमोहन अग्रवाल हैं, उनके निशाने में रमन सिंह हैं। इनसे कैसे निपटेंगे। अभी धरमलाल कौशिक भी बहुत गुस्से में हैं। अपने ही निपटे हैं। लखमा ने कहा, इनके अपने ही लोग इनको निपटाएंगे। वहां हमारी जरूरत नहीं है।
किस आदिवासी-साहू समीकरण की बात कर थे लखमा
कवासी लखमा आदिवासी और साहू समाज की जिस नाराजगी की बात कर रहे थे वह भाजपा के प्रदेश संगठन में बदलाव से जुड़ा हुआ है। 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस था। उसी दिन भाजपा ने छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष पद से पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णुदेव साय को हटा दिया। वे आदिवासी समाज से आते हैं। एक महीने बाद 11 सितम्बर को युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अमित साहू को भी हटा दिया गया। जिसका सबसे बड़ा विरोध आदिवासी समाज में देखने को मिल रहा है।
भाजपा ने अपने स्तर से बैलेंस करने की कोशिश की
भाजपा ने अपने स्तर से इस बदलाव को संतुलित करने की कोशिश की है। भाजपा ने आदिवासी वर्ग से आ रहे अध्यक्ष को हटाकर साहू समाज के अरुण साव को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दे दी है। वहीं भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष पद से साहू समाज के अमित साहू को हटाने के बाद आदिवासी समाज के रवि भगत को बिठा दिया है। नेता प्रतिपक्ष के पद से कुर्मी समाज के धरमलाल कौशिक को हटाने के बाद उसी समाज के नारायण चंदेल को बिठाया गया है। भाजपा नेताओं का कहना है कि इस बदलाव से किसी वर्ग के नाराज होने का प्रश्न ही नहीं है।