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छत्तीसगढ़ के इस जिले में स्थापित है अनोखा शिवलिंग, दो भागों में बंटा है शिवलिंग ,जानिए क्या है इस मंदिर का रहस्य

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acn18.com राजनांदगांव /महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। भगवान भोलेनाथ को द्वादश ज्योतिर्लिंगों के रूप में भी पूजा जाता है, लेकिन राजनांदगांव जिले का एक गांव ऐसा भी है जहां शिवलिंग को पूजने से परम सुख श्रद्धालुओं को प्राप्त होता है। यहां एक स्वयंभू शिवलिंग में ही आधे हिस्से पर भगवान भोलेनाथ और आधे हिस्से पर मां पार्वती विराजमान है। लगभग 200 वर्षों से यहां इस विशेष शिवलिंग की पूजा की जा रही है।

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राजनांदगांव जिले के इराईकला में अर्धनारीश्वर शिवलिंग का अनोखा मंदिर है, यहां एक शिवलिंग दो भागों में बटां हुआ है जिसकी वजह से इस शिवलिंग को अर्धनारीश्वर शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है। गांव के लोगों के अनुसार लगभग 200 वर्षों से यहां इस शिवलिंग की पूजा अर्चना की जा रही है। गांव के लोगों का मानना है कि यह शिवलिंग द्वापर युग का है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार वर्तमान में जिस जगह अर्धनारीश्वर शिव मंदिर स्थापित है उसी स्थान पर पहले गोपालक गोबर एकत्रित किया करते थे। इसी जगह एक बार खुदाई के दौरान यहां शिवलिंग नजर आया तब से शिवलिंग की पूजा सैकड़ो वर्षों से की जाती रही है। इसके बाद वर्ष 2022 में इराईकला गांव के श्रद्धालु विनोद साहू को स्वप्न में यहां मंदिर निर्माण का आदेश हुआ। जिसके बाद विनोद साहू और गांव के अन्य लोग यहां मंदिर निर्माण में जुट गए। वर्ष 2023 में इस अर्धनारीश्वर शिव मंदिर का निर्माण पूर्ण किया गया।


मान्यताओं के अनुसार इस अर्धनारीश्वर मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है। वहीं जब से यहां इस अर्धनारीश्वर शिवलिंग की पूजा अर्चना की जा रही है तब से इस गांव के लोग दीर्घायु हो गए हैं। इस गांव में ज्यादातर लोगों की अधिकतम उम्र 107 साल तक पहुंचती है और वर्तमान में भी यहां 90-95 वर्ष से अधिक आयु के दर्जनों बुजुर्ग है। यहां के लोगों का मानना है कि अर्धनारीश्वर शिवलिंग की वजह से ही यहां अधिकांश लोग शतायु हुए हैं। गांव के श्रद्धालु मंगतीन बाई का कहना है कि यहां हम वर्षों से पूजा करते आ रहे हैं।

भगवान शंकर और माता पार्वती के रूप में स्थापित संभवतः यह पूरे प्रदेश का एकमात्र अनोखा शिवलिंग है। यह शिवलिंग दो भागों में स्पष्ट नजर आता है। इस शिवलिंग के बीच से एक पतली दरार है बताया जाता है कि पहले यहां जलाभिषेक करने के बाद जल धरती में कहां जाता था यह पता नहीं चलता था वहीं अब मंदिर निर्माण के बाद जल के बाहर निकालने की व्यवस्था कर दी गई है। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर इस मंदिर में विशेष पूजा अर्चना के साथ पंच कुंडी यज्ञ होता है और भंडारा प्रसादी का वितरण भी किया जाता है। गांव में इस मंदिर के स्थापित होने से गांव में सुखद वातावरण का निर्माण हुआ है। वहीं आपदाओं से भी गांव सुरक्षित है।

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