Acn18.com/छोटी उम्र की बच्चियों पर पारिवारिक जिम्मेदारियों काे थोपना। उनके बचपन को तो बर्बाद करता ही है, इसके साथ ही आगे की जिंदगी में भी वो कई मुश्किलों से घिर जाती हैं। ऐसे हालातों से बच्चियों को बचाने छत्तीसगढ़ी फिल्म की एक्ट्रेस मोना सेन ने एक अभियान चलाया है।
ये अभियान इस कदर लोगों के बीच पहुंचा कि, अब यह विश्व रिकॉर्ड बन चुका है। बातचीत में मोना सेन ने अपने अभियान के बारे में दिलचस्प जानकारी दी।
बच्चियों की हालत देखकर मन होता था दुखी
मोना सेन ने बताया, मैं अक्सर कार्यक्रमों में परफॉर्मेंस देने या बतौर अतिथि प्रदेश के कई हिस्सों में जाती थी। अक्सर ग्रामीण इलाकों में देखा करती थी कि, मंच के सामने छोटी उम्र की बच्चियां मांग में सिंदूर लगाए बैठी हैं। कुछ तो मां बन चुकी होती थीं, नवजात शिशु उनकी गोद में होते थे। वह बच्चियां जिन्हें खुद अच्छी परवरिश और पढ़ाई लिखाई की जरूरत है शादी के बाद कई तरह की समस्याओं से घिर जाती थी।
एक सही उम्र के बाद ही बच्चियों की शादी होनी चाहिए। मगर कई बार सामाजिक परिदृश्य की वजह से लोग छोटी उम्र में ही बच्चों की शादी कर देते हैं। यह देखकर मेरा मन दुखी हो जाता था, मैं मंच से अक्सर लोगों को जागरूक किया करती थी मगर यह बात हमेशा दिल में रही कि घर घर तक कैसे पहुंचा जाए।
मोना सेन ने बताया, हमारी टीम ने एक योजना बनाई। हमने ऑनलाइन एक फॉर्म का फॉर्मेट तैयार किया। इसे लोगों के बीच भेजा, हमने लोगों को लगातार छोटी उम्र की बच्चियों को पढ़ाने और उन्हें रोजमर्रा की जिंदगी में काम आने वाले कौशल सिखाने के बारे में जागरूक किया। यह फॉर्म एक संकल्प पत्र के रूप में लोगों से भरवाया गया। जिसमें माता-पिता ने यह कसम ली कि वह अपनी बच्चियों को ग्रेजुएशन और कम से कम 12वीं तक जरूर पढ़ाएंगे। उन्हें सिलाई कढ़ाई या अन्य ऐसे काम सिखाएंगे जिससे जरूरत पड़ने पर बेटी अपने पैरों पर खड़ी हो सके।
4 दिन में 60 हजार लोग जुड़े 4 से 9 मई तक ये अभियान चलाया गया। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचलों में इस अभियान को पहुंचाया गया। महज 4 दिनों में 60,000 से अधिक लोगों ने इस पर संकल्प पत्र को भरते हुए कसम ली कि वह अपनी बच्चियों को शिक्षा देंगे और उनके स्किल्स पर ध्यान देंगे। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने इसे एक विश्व रिकॉर्ड बताते हुए एक्ट्रेस मोना सेन को सम्मानित किया।
बेटियों का मोल समझ रहे हैं लोग
मोना सेन ने कहा, बेटी है तो दुनिया है, इस पंच लाइन पर उन्होंने इस अभियान की शुरुआत की थी। आज भी छत्तीसगढ़ में लड़की और लड़का में अंतर किया जाता है। मगर लगातार बदलाव भी आ रहा है। बहन, बेटी, पत्नी और मां के रूप में जब हम उनकी भूमिका को देखते हैं, तो उनके प्रति मन में काफी सम्मान बढ़ जाता है।
घर की बाउंड्री से कूदकर मोना सेन ने तोड़ी थी बंदिशे
मोना सेन सैंकड़ों फिल्मों और म्यूजिक वीडियो में काम कर चुकी हैं। बचपन में सिंगर, डांसर और एक्ट्रेस बनना चाहती थीं। मगर शिक्षक पिता नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी ये सब करे। मोना सेन ने एक इंटरव्यू में बताया कि अपनी जिंदगी का पहला शो करने के लिए मुझे रात के अंधेरे में घर की बाड़ी से कूदकर चाचा के साथ बाइक पर बैठकर जाना पड़ा था। बेहद घबराई हुई थीं। जी जान लगाकर प्रस्तुति दी।
शो सुपरहिट रहा। मौके मिलते गए और मैं बढ़ती गई। राज्य सरकार ने महिलाओं को दिए जाने वाले राज्य के सबसे बड़े मिनी माता सम्मान से नवाजा। जिस पिता ने कभी बेटी को डांस करने से रोका था, उसी बेटी ने जब बेटा बनकर परिवार की पूरी जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा ली तो पिता की आंखें भी खुशी से छलक उठी थी।