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रविंद्रनाथ टैगोर की पुण्यतिथि: पत्नी से छल करने पर लिखी कविता ‘फांकी’; छत्तीसगढ़ के इन स्टेशनों से है कनेक्शन

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Acn18.com/राष्ट्रगान के रचयिता और महान साहित्यकार गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर का छत्तीसगढ़ से दर्द का गहरा नाता रहा है। ये दर्द पत्नी से छल और उनके विरह का है। जिसने गुरुदेव की प्रसिद्ध कविता ‘फांकी’ को जन्म दिया। आज 7 मई है, यानि गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर की पुण्यतिथि। इस खास मौके पर इस कविता के दर्द और पत्नी प्रेम के विरह में पिरोई गई यादों से रूबरू करा रहे हैं, जो बिलासपुर और पेंड्रा रोड स्टेशन के लिए आज धरोहर बन गई है।

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पत्नी के टीबी का इलाज कराने आए थे गुरुदेव
बात साल 1918 की है, जब टैगोर अपनी बीमार पत्नी बीनू को लेकर बिलासपुर पहुंचे थे। गुरुदेव को उन दिनों बिलासपुर जिले में स्थित पेंड्रारोड स्टेशन जाना था। दरअसल, गुरुदेव की पत्नी बीनू क्षय रोग (टीबी) से पीड़ित थीं। उस समय टीबी बड़ा रोग माना जाता था। ऐसे पत्नी बीनू का इलाज कराने पेंड्रा रोड स्थित सेनेटोरियम अस्पताल ले जा रहे थे। उन दिनों सेनिटोरियम अस्पताल टीबी के इलाज और विशेष आबोहवा के लिए देशभर में प्रसिद्ध था।

बिलासपुर स्टेशन का वेटिंग रूम कविता की नींव बना
बिलासपुर स्टेशन से पेंड्रा रोड जाने के लिए वह वेटिंग रूम में ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। यहीं से कविता ‘फांकी’ की नींव पड़ी। ट्रेन के इंतजार के दौरान गुरुदेव की पत्नी बीनू की नजर स्टेशन परिसर में झाड़ू लगाने वाली महिला पर पड़ी। इस पर बीनू ने महिला को बुलाकर उसका नाम और काम के बारे में पूछा। महिला ने अपना नाम रुक्मिणी बताया और कहा कि, उसकी बेटी शादी के योग्य हो चुकी है, इसलिए मैं मजदूरी कर पैसा जोड़ रही हूं।

पत्नी ने झाड़ू लगाने वाली को 20 रुपये देने को कहा
इस पर बीनू ने रुक्मिणि से पूछा कि कितने पैसे में तुम्हारा काम हो जाएगा। उसने बताया 20 रुपये में शादी हो जाएगी। बीनू ने गुरुदेव से रुक्मिणी को 20 रुपये देने का आग्रह किया। गुरुदेव ने कहा कि ठीक है, मैं इसे पैसे दे दूंगा, लेकिन 100 रुपए के खुले करवाने के लिए उसे मेरे साथ बाहर चलना होगा। रुक्मिणी को लेकर गुरुदेव बाहर आए और कहा कि तुम यह काम पैसे ठगने के लिए करती हो। मैं स्टेशन मास्टर को बताऊं क्या? इतना सुनते ही रुक्मिणी वहां से चली गई।

फिर पत्नी से टैगोर ने बोला झूठ
जब गुरुदेव दोबारा प्रतीक्षालय पहुंचे तो उन्होंने अपनी पत्नी से पैसा देने का झूठ बोल दिया। इसके बाद पति-पत्नी पेंड्रा रोड के सेनेटोरियम अस्पताल पहुंचे। वहां करीब छह माह तक बीमार बीनू का इलाज चला, लेकिन इसके बाद भी उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। इसके बाद गुरुदेव को पत्नी की आखिरी इच्छा पूरी न कर पाने का दुख सताने लगा। अकेले गुरुदेव जब कोलकाता लौटने के लिए फिर बिलासपुर स्टेशन पहुंचे तो रुक्मणी को पैसे देने के लिए ढूंढ़ते रहे, लेकिन वह नहीं मिली।

पत्नी से छल ने दिया फांकी को जन्म
यहीं से एक महान कवि के हृदय में ‘फांकी’ कविता ने जन्म लिया, जिसे गुरुदेव ने बिलासपुर स्टेशन पर ही लौटते वक्त लिखा था। फांकी एक बंग्ला शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘छलना’। गुरुदेव को लगा कि उन्होंने अपनी पत्नी के साथ झूठ बोलकर एक छल किया है। यह कविता एक कवि के अंदर एक स्वीकारोक्ति की भावना है। गुरुदेव की फांकी इस अर्थ में एक महान रचना है, जिसे बिलासपुर स्टेशन के मुख्य द्वार के पास खूबसूरती से उकेरा गया है।

सेनेटोरियम परिसर में गुरुदेव की प्रतिमा का आज अनावरण
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिला प्रशासन की ओर से उसी सेनेटोरियम परिसर में गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगौर की प्रतिमा का रविवार को अनवारण किया जा रहा है। इसमें छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत, कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत, प्रभारी मंत्री जय सिंह अग्रवाल सहित कई दिग्गज कार्यक्रम में शामिल होंगे। साथ ही सेनेटोरियम अस्पताल परिसर में गुरुदेव की मूर्ति के साथ वाटिका और संग्रहालय बनाए जाने का भी प्रशासन की तैयारी है जो आगामी दिनों में बनकर तैयार हो जाएगा।
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