Acn18.com/पंजाब के पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल की पार्थिव देह अंतिम दर्शन के लिए चंडीगढ़ स्थित अकाली दल के कार्यालय में रखी गई। जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। अंतिम दर्शन के बाद उनका शव पैतृक गांव बादल ले जाया जा रहा है। जहां कल गुरूवार दोपहर 1 बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
मुक्तसर जिले में पड़ते बादल गांव के श्मशान घाट में जगह कम होने के कारण पूर्व सीएम का अंतिम संस्कार उनके पुश्तैनी खेतों में किया जाएगा। इसके लिए दो एकड़ में लगा किन्नू का बाग उखाड़कर चबूतरा बनाने का काम चल रहा है।
बादल का मंगलवार रात को 95 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्हें सांस लेने में तकलीफ के बाद 16 अप्रैल को मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां 25 अप्रैल की शाम 7.42 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। प्रकाश सिंह बादल 5 बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे।
देश के सबसे बुजुर्ग नेता, 2 दिन का राष्ट्रीय शोक
उनके अलावा हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता, पंजाब की पूर्व CM राजिंदर कौर भट्ठल, हरियाणा के पूर्व CM ओमप्रकाश चौटाला, पूर्व CM कैप्टन अमरिंदर सिंह की सांसद पत्नी परनीत कौर, भाजपा नेता सुनील जाखड़ ने भी पूर्व CM को श्रद्धांजलि दी। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चिट्ठी लिखकर शोक जाहिर किया है।
बादल देश की राजनीति के सबसे बुजुर्ग नेता थे। उनके निधन पर केंद्र सरकार ने दो दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित कर दिया है, जिसमें दो दिन पूरे देश में लगा ध्वज आधा झुका दिया जाएगा। वहीं सभी आधिकारिक मनोरंजन कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं। पंजाब में कल गुरुवार को सरकारी छुट्टी की घोषणा कर दी गई है।
राजनीति में प्रकाश सिंह बादल के कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनके पैर छूते थे। 75 साल के राजनीतिक जीवन के दौरान वे 5 बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने लगातार 11 चुनाव जीते। पिछले साल वह अपनी सीट लंबी से चुनाव हार गए थे। उसके बाद वह सियासी तौर पर ज्यादा सक्रिय नहीं रहे। केंद्र सरकार के कृषि सुधार कानूनों का विरोध हुआ तो शिरोमणि अकाली दल ने भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया था। इसके बाद प्रकाश सिंह बादल ने अपना पद्म विभूषण तक लौटा दिया था।
20 साल की उम्र में सरपंच बनने के बाद प्रकाश सिंह बादल करीब 75 साल तक राजनीतिक जीवन में हमेशा राजनीति के केंद्र में रहे। पंजाब राज्य की राजनीति का उन्हें बाबा बोहड़ कहा गया, वहीं केंद्र में भी उनकी दहाड़ हमेशा ऊंची रही। जनसंघ व भाजपा की तरफ झुकी राजनीति के प्रमुख चेहरों में शुमार रहे। भाजपा ने भी उन्हें कभी नजरअंदाज नहीं किया।
इसके बावजूद वे केंद्र की राजनीति में वे अधिक समय नहीं ठहरे। मार्च 1977 में केंद्र में मोरारजी देसाई की जनता पार्टी की सरकार बनी तो प्रकाश सिंह बादल उसमें केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री बनाए गए। कुछ समय बाद लोकसभा में भी चुने गए, लेकिन केंद्र की राजनीति उन्हें पसंद नहीं आई। कुछ महीनों के बाद ही केंद्रीय मंत्री का पद छोड़ दिया। उसके बाद वह पंजाब की राजनीति से बाहर नहीं निकले।