Acn18.com/2600 मेगावाट क्षमता वाली एनटीपीसी कोरबा परियोजना से प्रभावित भूविस्थापित चार दशक बीतने के बाद भी ना तो नौकरी पा सके हैं और ना ही मुआवजा। परियोजना के लिए चारपारा स्थित उनकी जमीन अधिग्रहित की गई थी। एनटीपीसी की वादाखिलाफी से त्रस्त होकर भूविस्थापित एक बार फिर तानसेन चौराहे पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों पर आर्थिक और सामाजिक हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है।
भारत सरकार की महारत्न कंपनी एनटीपीसी देशभर में अलग-अलग फार्मूले के आधार पर बिजली का उत्पादन कर रही है इनमें कोयला, हाइड्रल और गैस आधारित बिजली का उत्पादन शामिल है । 45 वर्ष पहले अस्तित्व में आई यह परियोजना देश के अनेक राज्यों को बिजली की आपूर्ति करने के साथ वहां की व्यवसायिक जरूरत को पूरा कर रही है। एनटीपीसी की कोरबा परियोजना की स्थापना के लिए आसपास के गांव की जमीन अर्जित की गई थी। चारपारा क्षेत्र के लगभग 300 लोग इसमें प्रभावित हुए थे। इनमें से 50 लोग अभी भी नौकरी और मुआवजा के लिए अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं। कोरबा के तानसेन चौराहे पर ऐसे लोगों ने धरना प्रदर्शन एक बार फिर शुरू किया है। विस्थापित लक्ष्मण कैवर्त ने बताया कि हमारे मामले काफी लंबे समय से अटके हुए हैं अधिकारियों की वादाखिलाफी को लेकर एक बार फिर सड़क पर उतरना पड़ा है।
लक्ष्मण का सवाल है कि जब एनटीपीसी की परियोजना के प्रभावित लोगों को कोरबा में प्रशिक्षण दिया जा सकता है तो यहां के लोगों के मामले में समस्या क्या है ।
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में एनटीपीसी की थर्मल पावर परियोजना से 2600 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है । 2010 से पहले यहां 2100 मेगावाट बिजली उत्पादित हो रही थी बाद में प्रबंधन के द्वारा विस्तार की योजना बनाई गई और 500 मेगा वाट की सातवीं यूनिट स्थापित की गई। ऊर्जा उत्पादन के साथ एनटीपीसी राजस्व अर्जित करने में लगा हुआ है लेकिन इसी के साथ परियोजना प्रभावितों की सुध लेने के लिए कहीं ना कहीं अनदेखी की जा रही है। ऐसे में प्रभावित लोगों के द्वारा सड़क पर उतरने से एनटीपीसी की साख पर बट्टा लग रहा है। सवाल यह है कि क्या कोरबा से जुड़े मुद्दों को लेकर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री को जानकारी नहीं है और अगर है तो सरकार एनटीपीसी प्रबंधन को आवश्यक निर्देश क्यों नहीं दे रही है।