Acn18.com/छत्तीसगढ़ी में ‘नवा अंजोर’ कहें या गोंडी में ‘पूना वेश’, दोनों का हिंदी में एक ही मतलब होता है ‘नई सुबह’। ऐसी ही शानदार सुबह लाने का काम छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में हमारे जवान कर रहे हैं। ये जवान न केवल नक्सलियों का सामना कर रहे हैं, बल्कि धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र माने जाने वाले कांकेर के अंतागढ़ में आदिवासी बच्चों के लिए नई उम्मीद बन रहे हैं। वहां के बच्चों को पुलिसकर्मी प्रतियोगरी परीक्षाओं की तैयारी कराते हैं। उन्हें किताबों के साथ ही कॅरियर गाइडेंस भी देते हैं।
दरअसल, जून 2022 में पुलिस ने पूना वेश नवा अंजोर नाम से योजना शुरू की। मकसद है, नक्सल प्रभावित बच्चों को भटकने से रोकना। इसके तहत पहले ताड़ोकी और फिर अगस्त 2022 में कोयलीबेड़ा में निशुल्क कोचिंग सेंटर खोला गया। फिर बच्चों के लिए पाठ्य पुस्तकें और प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबें मुहैया कराने के लिए लाइब्रेरी भी शुरू की गई। शुरुआत में आशंका थी कि अंदरूनी इलाका होने के कारण बच्चे इस योजना से नहीं जुड़ेंगे. लेकिन पढ़ने और आगे बढ़ने की ललक ने इस मिथक को तोड़ दिया।
नक्सल आतंक को ठेंगा दिखाकर छात्र-छात्राएं कोचिंग सेंटर पहुंचने लगे। इन छात्रों की तादाद लगातार बढ़ने लगी। यह देखकर कोचिंग सेंटर में एसपी, एएसपी, डीएसपी, टीआई और अन्य अफसरों के साथ ही इलाके में पदस्थ डॉक्टरों व अन्य सरकारी अफसरों ने भी उन्हें समय देना शुरू किया। वे कोचिंग में समय-समय पर आते, बच्चों को पढ़ाते और उनका मार्गदर्शन करते। वर्तमान में एसआई की प्रतियोगी परीक्षा के लिए कोचिंग दी जा रही है। यहां 12वीं के बाद आगे की पढ़ाई और करियर को लेकर जानकारी भी दी जाती है।