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राजीव गांधी की एक गलती और कर्नाटक में BJP दाखिल:कांग्रेस अब तक भुगत रही; कर्नाटक के चुनावी मुद्दे, आंकड़े और किस्से

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Acn18.com/3 अक्टूबर 1990 को कर्नाटक के दावणगेरे में हिंदुओं ने मुस्लिम इलाके में एक शोभायात्रा निकाली। इसके बाद दंगे भड़क गए। इसी दौरान कर्नाटक के चन्नपटना में एक मुस्लिम लड़की को एक हिंदू लड़के ने छेड़ दिया, जिसके बाद साम्प्रदायिक हिंसा होने लगी। इनमें दर्जनों लोग मारे गए।

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कर्नाटक में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत की सरकार थी और वीरेंद्र पाटिल मुख्यमंत्री थे। उन्हें कुछ दिन पहले ही हार्ट अटैक आया था और वो बिस्तर पर थे। दंगों की वजह से लोगों में आक्रोश था।

उस वक्त के कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गांधी डैमेज कंट्रोल के लिए कर्नाटक के बेंगलुरु पहुंचे। थोड़ी देर बाद उन्होंने वीरेंद्र पाटिल को मुख्यमंत्री पद से हटाने का ऐलान कर दिया। अब इस घटना पर दो तरह की थ्योरी हैं…

पहलीः राजीव गांधी ने बीमार वीरेंद्र पाटिल को आराम देने के लिए उन्हें CM पद से हटाया था।

दूसरीः राजीव ने पाटिल से मिलना तक जरूरी नहीं समझा और कुछ मिनटों में ही एयरपोर्ट से उन्हें हटाने का फैसला ले लिया।

वीरेंद्र पाटिल लिंगायतों के बड़े नेता थे, जिनकी राज्य में करीब 17% आबादी है। विपक्षी दलों ने पाटिल की बर्खास्तगी को लिंगायतों के अपमान की तरह प्रचारित किया। लिंगायतों ने इसे अपना अपमान समझा और यहीं से BJP को कर्नाटक में दाखिल होने की जमीन मिल गई।

1989 के चुनाव में 178 सीटें जीतने वाली कांग्रेस 1994 के चुनाव में महज 34 सीटों पर सिमट गई। वहीं, BJP 4 सीटों से बढ़कर 40 सीटों पर पहुंच गई। तब से BJP लिंगायत वोट बैंक के एक बड़े हिस्से पर कुंडली मारकर बैठी है।

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