तंदुरुस्त युवाओं की हंसते-खेलते अचानक हार्ट अटैक से मौत के बढ़ते मामलों से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय चिंतित है। कोरोना के बाद हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों से शक की सुई कोविड या उससे बचने के लिए ली गई दवाओं और वैक्सीन पर भी जा रही है। लॉकडाउन से खानपान, रहन-सहन में आए बदलावों के कारण सेहत पर प्रतिकूल प्रभावों की आशंका भी है। हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों के कारणों का पहली बार व्यापक अध्ययन होगा।
स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) से मेयोकार्डियल इंफ्राक्शन यानी हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों के अध्ययन को कहा है। सूत्रों के अनुसार अध्ययन में आईसीएमआर ने नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) की मदद से दो तरीकों से आकस्मिक मौत की बारीकियां को समझने का मॉडल अपनाया है। दोनों मॉडल से स्टडी के लिए विशेषज्ञों की अलग-अलग टीमें बना ली गई हैं।
विशेषज्ञों की टीमः इसमें फोरेंसिक मेडिसन, रेडियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी, पैथोलॉजी विशेषज्ञ हैं।
मॉनीटरिंग भी: इसमें एपिडेमियोलाॅजिस्ट्रस, क्लिनिशयंस, पैथोलाॅजिस्ट्रस, फोरेंसिक मेडिसन एक्सपर्ट और पब्लिक हेल्थ विशेषज्ञों को शामिल किया गया है।
इन 2 तरीकों से होगा अध्ययन
पहला | रेट्रोस्पेक्टिव (पूर्ववर्ती) केस कंट्रोल का होगा। इसमें अचानक मौत तक की पूरी केस हिस्ट्री को देखा जााएगा। इसमें हाल के कोविड इंफेक्शन और उसके इलाज के तौर-तरीके और उससे उबरने के बाद की मरीज की शारीरिक एवं मानसिक स्थितियों पर गौर किया जाएगा। |
दूसरा | यह प्रॉस्पेक्टिव (भविष्योन्मुखी) तरीका है। इसमें वर्चुअल ऑटोप्सी होगी। एम्स में यह तकनीक 2 साल पहले शुरू हुई है। डेड बॉडी की चीरफाड़ की बजाए सीटी स्कैन में रखकर कुछ ही सेकंड में करीब 25 हजार इमेज ली जाएंगी। |
26 साल में हार्ट अटैक के मामले कुल मौतों के 28% हुए
सरकार ने हाल ही में राज्य सभा में आईसीएमआर की एक रिपोर्ट के हवाले से बताया कि 2016 में होने वाली कुल मौतों में से 28.1% मौतें हार्ट अटैक और दिल की बीमारियों की वजह से हुईं। वहीं साल 1990 में यह आंकड़ा 15.2% था। रिपोर्ट के अनुसार हार्ट अटैक से मौतों का कारण मुख्य रूप से तंबाकू और शराब का उपयोग, बढ़ता जंक फूड और कम शारीरिक श्रम है।