जम्मू में लिथियम का खनन शुरू होने से पहले करीब 10 हजार लोगों को विस्थापित होना पड़ेगा। खनन के लिए रियासी जिले के सलाल में सर्वे चल रहा है। अगले महीने तक सरकार को रिपोर्ट सौंप दी जाएगी।
जम्मू-कश्मीर के भूगर्भ विभाग के संयुक्त निदेशक एच एल लांगेह बताते हैं- हम डेटा तैयार कर रहे हैं। इसके बाद बता सकेंगे कि कितने लोग विस्थापित होंगे। हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि स्थानीय लोगों और पर्यावरण पर खनन का कम से कम प्रभाव पड़े।
जहां अच्छी क्वालिटी का लीथियम वहां 2000 इमारतें
जीएसआई के साथ मिलकर सरकार उन इलाकों को चिह्नित कर रही है, जहां ज्यादा बेहतर क्वालिटी की लिथियम मौजूद है। साथ ही खनन से विस्थापित होने वाले स्थानीय लोगों की सूची भी बनाई जा रही है। इस इलाके में लोगों के घर, स्कूल, पंचायत घर, अस्पताल आदि की करीब 2000 इमारतें हैं।
59 लाख टन लिथियम का भंडार
रियासी जिले के सलाल कोटली और सलाल कोट में लिथियम खनन की वजह से 10 हजार लोगों के विस्थापित होने की आशंका है। 3.5 वर्ग किलोमीटर के इलाके में लिथियम सबसे प्रचुर मात्रा में पाए गए हैं। यहां 59 लाख टन लिथियम का भंडार होने का अनुमान है। इसमें भी दम्मन कोट में सबसे अच्छी क्वालिटी का लिथियम होने की उम्मीद है।
दूसरे खनिजों की तलाश भी शुरू हुई
रियासी में लिथियम मिलने के बाद जीएसआई अब जम्मू के पनासा, दुग्गा, बल्दहानून, चाकर और संगारमार्ग में भी दूसरे खनिजों की खोज कर रही है। अगर और खनिज मिलते हैं तो आसपास के जिलों में भी अन्वेषण कार्यक्रम चलाकर खनिजों की खोज की जाएगी।