जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 3 और 4 अप्रैल को है। जैन पंचांग में महावीर जयंती 3 अप्रैल को बताई गई है। इस वजह से 3 अप्रैल को ये पर्व मनाया जाएगा। महावीर स्वामी का जन्म 599 ईसवी पूर्व महाराज सिद्धार्थ और महारानी त्रिशला के यहां हुआ था। महावीर जी के बचपन का नाम वर्धमान था। उनके जीवन के कई ऐसे किस्से हैं, जिनमें जीवन को सुखी और सफल बनाने के सूत्र छिपे हैं। जानिए एक ऐसा किस्सा, जिसमें घमंड से बचने का संदेश दिया गया है…
चर्चित किस्से के मुताबिक, एक राजा महावीर स्वामी के दर्शन करने आया करता था। राजा धनी और घमंडी था। वह जब भी स्वामी के पास जाता, अपने साथ धन, रत्न आदि लेकर आता था। राजा और उसके हाथ में ये चीजें देखकर महावीर स्वामी हर बार राजा से कहते थे कि राजन् इन्हें गिरा दो।
महावीर जी की बात मानकर राजा सभी कीमती चीजें वहीं गिरा देता था। ऐसा कई बार हो चुका था। राजा को स्वामी जी की बुरी लगने लगी थी। राजा सोचता था कि एक न एक दिन महावीर जी मेरे उपहार स्वीकार जरूर करेंगे। काफी दिनों तक ऐसा ही चलता रहा।
राजा ने ये बात अपने मंत्री को बताई। मंत्री विद्वान था। उसने राजा को सलाह दी कि राजन् इस बार आप सिर्फ फूल लेकर जाएं।
मंत्री की सलाह मानकर राजा सुंदर फूल लेकर महावीर के सामने पहुंच गया। इस बार भी महावीर जी ने कहा कि इन्हें गिरा दो।
ये सुनकर राजा फिर से निराश हो गया। वह फूल वहीं गिराकर लौट गया। उसने मंत्री को ये बात भी बताई। मंत्री ने इस बार कहा कि राजन इस बार आप खाली हाथ जाएं।
अगले दिन राजा खाली हाथ स्वामी जी के सामने पहुंचा।
राजा ने महावीर स्वामी से कहा कि मैं कई दिनों से आपके लिए कीमती चीजें लेकर आ रहा हूं, लेकिन आप हर बार उन्हें गिराने के लिए बोल देते हैं। मैं फूल लेकर आया तो आपने फूलों को भी गिराने के लिए कह दिया। आज मैं खाली हाथ आया हूं। अब आप क्या कहेंगे?
महावीर स्वामी ने मुस्कान के साथ कहा कि राजन् अब खुद को गिरा दो।
महावीर जी के ये बात सुनकर राजा को समझ आ गया कि ये मेरा अहंकार गिराने की बात कह रहे हैं। राजा ने महावीर स्वामी जी को प्रणाम किया और अहंकार छोड़ने का संकल्प लिया।
महावीर स्वामी की सीख
हमें कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए, खासतौर पर घर-परिवार में, मंदिरों में, संत-महात्मा के सामने अहंकार न करें। इन जगहों पर घमंड से बचेंगे तो जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी।