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विधानसभा में गूंजा किसान नेता डॉ. राजाराम त्रिपाठी का नाम..विधायकों ने सफेद मूसली के नाम पर एक दूसरे पर साधा निशाना..जानिए इस रोचक चर्चा को

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acn18.com रायपुर /  छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र की आज की कार्यवाही विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरण दास महंत के आसंदी पर बैठने के साथ प्रारंभ हुई तो कई मंत्रियों के द्वारा पेश विधेयकों पर सदन में चर्चा हुई. सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों ने संवाद करते हुए अपनी मांग रखी तथा मंत्रियों का ध्यान आकृष्ट कराया. इस दौरान हास परिहास, नोंक झोंक और एक दूसरे पर कटाक्ष के दृश्य दिखाई दिए.

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भोजनावकाश के बाद जब सदन की कार्यवाही प्रारंभ हुई तो एक संशोधन विधेयक को लेकर कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे और भाजपा विधायक अजय चंद्राकर के बीच गरमागरम बहस हो गई. अजय चंद्राकर संसदीय मर्यादा के लगातार बिगड़ने पर चिंता जता रहे थे जबकि चौबे उन्हें समझाने में लगे थे. इसी बीच चंद्राकर ने माहौल को खुशगवार बनाते हुए विधानसभा अध्यक्ष डॉ. महंत से पूछ लिया कि अध्यक्ष जी, चौबे जी के चेहरे पर इतनी लालिमा कैसे आती है, इस पर महंत ने कटाक्ष किया कि सब बस्तर वाले त्रिपाठी का कमाल है जोकि सफेद मूसली बेचते है. इसी बीच किसी सदस्य ने राजाराम त्रिपाठी का नाम ही ले लिया.

चंद्राकर यही नही रूके बल्कि उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि जोगी सरकार से लेकर इस सरकार तक में त्रिपाठी और जिंदल का ही जलवा रहा है. पूरी सरकार हाजिरी लगाती है. इसी बीच विधायक बृजमोहन अग्रवाल भी इसमें कूद पड़े और महंतजी की ओर मुखातिब होते हुए बोले, क्या आपने भी उनकी सेवा ली है. इस पर महंत ने कहा कि ना बाबा ना. हमें इसकी जरूरत नही. इस पर सदन में ठहाके लग गए. हालांकि मंत्री रविन्द्र चौबे इस पूरी चर्चा को बैठे-बैठे सुनकर मुस्कुराते रहे.

जानते चलें कि मूलतः कोण्डागांव के किसान नेता डॉ. राजाराम त्रिपाठी ने देश विदेश में वनौषधि की खेती करके खासी प्रसिद्धि हासिल की है. उन्हें कई पुरस्कार हासिल हुए तथा सफेद मूसली की खेती के बाद अब काली मिर्च की खेती करके छत्तीसगढ़ का नाम रोशन कर रहे हैं. चंद दिनों पहले ही केंद्रीय टीम उनके कोंडागांव में स्थित फार्म हाउस में पहुंची थी। उसने काली मिर्च की खेती का निरीक्षण किया और पाया कि भारत में सबसे ज्यादा काली मिर्च की खेती डॉक्टर त्रिपाठी कर रहे हैं। एक पेड़ में 60 से 70 किलो तक की काली मिर्च वे उगा रहे हैं जिसकी कीमत एक एकड़ में 60 से 70 लाख रुपए होती है।

आज विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच उनके नाम की चर्चा होना यह दर्शाता है कि डॉ. त्रिपाठी और उनका काम सभी दलों और विधायकों के बीच खासी अहमियत रखता है. पहले जोगी सरकार और बाद में रमन सरकार के 15 साल में डॉ त्रिपाठी ने गैर राजनीतिक होते हुए कृषि क्षेत्र में कई प्रयोग किए और नए अनुसंधान करके राज्य का नाम रोशन किया है.

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