spot_img

फसल का अनोखा इस्तेमाल:अलसी के डंठल गूंथकर कृषि कॉलेज में बनाया गया 80 मीटर कपड़ा, यह गर्मी में रहेगा कूल

Must Read

acn18.com रायपुर/ छत्तीसगढ़ में बेहद अच्छी पैदावार वाले मिलेट अलसी से अब तक पेट और स्किन के इंफेक्शन को दूर करने में मदद मिलती रही है, लेकिन पहली बार इसके डंठल से कृषि वैज्ञानिकों ने कपड़े बना दिए हैं। बेमेतरा कृषि कालेज में अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने डंठल के रेशों को गूंथकर कपड़ा बना रहे हैं।

- Advertisement -

पहला थान 80 मीटर का है। वैज्ञानिकों का दावा है कि ये कपड़ा गर्मी के दिनों में शरीर को ठंडा रखेगा। कपड़े की रंगाई के लिए फूलों, सब्जियों और फलों के रंगों का उपयोग किया गया। इस प्रोजेक्ट से बना कपड़ा 21 से 23 मार्च तक नई दिल्ली में होने वाली अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी में दिखाया जाएगा।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्- राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना नई दिल्ली से बेमेतरा कृषि कॉलेज को सन 2022 में एक वृहद परियोजना “लिनेन फ्रॉम लिनसीड स्टॉक्स’’ के लिए 1 करोड़ मिले हैं। इस परियोजना के मुख्य वैज्ञानिक और कॉलेज के अधिष्ठाता डॉ. एमपी ठाकुर ने विश्व बैंक की सहायता से इस नवाचार परियोजना के तहत इसका काम शुरू किया है। यह परियोजना मार्च 2024 तक चलेगी। इसके बाद इसे स्थानीय कुशल उद्यमियों को सौंपा जाएगा।

डंठल के रेशों से 10 दिन में बनता है धागा
डंठल से धागा बनाने की प्रक्रिया 10 दिन की है। अलसी की फसल करीब 120 दिन की होती है। इस फसल की लंबाई 90 से 120 सेंटीमीटर तक होती है। फसल कटाई के बाद एक चौथाई भाग में लगे दानों को काटकर अलग किया जाता है। इसके बाद बचे डंठल को अलग कर दिया जाता है। फिर उसे पानी में 6 दिनों तक भारी वजन रखकर सड़ाया जाता है।

सातवें दिन इसे बाहर निकालकर सुखाया जाता है। इसके बाद इसके रेशे निकलने लगते हैं। फिर इसे क्रेशिंग मशीन में डालकर रेशा निकाला जाता है। 1 क्विंटल में करीब 20 किलो तक रेशा निकल जाता है। इसे निकालने में करीब 2 दिन लग जाते हैं। रेशा निकालने के बाद कार्डिग मशीन में डालकर इससे धागा बनाया जाता है। 1 पाव धागा बनाने में दो घंटे लगते हैं और 200 ग्राम धागे से एक मीटर कपड़ा तैयार हो जाता है।

जैकेट से पर्दे तक बनेंगे, अभी कपड़ा तीन हजार रुपए मीटर
वैज्ञानिकों ने बताया कि अभी 15 से 20 क्विंटल डंठल से 150 से 200 किलो तक रेशा निकल रहा है। डंठल के कपड़े से फिलहाल जैकेट, कुर्ता-पैजामा, सलवार और पर्दा बनाया गया है। परियोजना प्रभारी डॉ. एमपी ठाकुर बताते हैं अलसी के डंठल से तैयार कपड़ों की खासियत है कि ये गर्मी के दिनों में ठंडे रहते हैं। फैब्रिक की खासियत और बनाने की जटिल प्रक्रिया के कारण अभी इसका रेट 3 हजार प्रति मीटर तय किया गया है। अभी इसे हाथ से ही बना रहे हैं, लेकिन धागा बनाने और लपेटने की मशीनें तमिलनाडु से लाई जा रही हैं।

अब डंठल से भी कमाई
किसानों को अलसी के बीज के साथ ही डंठल के भी पैसे मिलने लगे हैं। एक हेक्टेयर में लगाई गई फसल में 15 से 24 क्विंटल अलसी का दाना निकलता है। इससे 15 से 20 क्विंटल तक डंठल होता है। इतनी मात्रा के डंठल से 200 किलो तक रेशा निकलता है। आमतौर पर अलसी के डंठल का कोई इस्तेमाल नहीं होता है। यहां तक कि जानवरों के भोजन के भी काम नहीं आता है। अब एक क्विंटल डंठल से किसानों को 500 से 1000 रु. तक कमाई हो रही है। किसान एक हेक्टेयर में 20 हजार रु. तक का अतिरिक्त पैसे डंठल बेचकर कमा रहे हैं।

377FansLike
57FollowersFollow
377FansLike
57FollowersFollow
Latest News

पूर्व विधायक के बेटे की कार से मिला लाखों का गांजा

acn18.com/  . रायपुर। पूर्व विधायक के बेटे की गाड़ी से गांजे का जखीरा मिला है। कांग्रेस के विधायक रहे...

More Articles Like This

- Advertisement -