आज (रविवार, 12 मार्च) रंग पंचमी है। फाल्गुन पूर्णिमा यानी होली के बाद फाल्गुन शुक्ल पंचमी पर रंग पंचमी मनाई जाती है। इस दिन भी कई जगहों पर एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाने की परंपरा है। ज्योतिष में रंगों का गहरा महत्व बताया गया है। रंग पंचमी पर जानिए रंगों से जुड़ी खास बातें…
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, ज्योतिष में सभी ग्रहों के अलग-अलग रंग बताए गए हैं, लेकिन सिर्फ सूर्य ही एक ऐसा ग्रह है, जिसकी रोशनी में बैंगनी, इंडिगो, नीला, हरा, पीला, नारंगी और लाल ये सात रंग हैं। बाकी 8 ग्रहों के रंग अलग-अलग हैं। हमारे शरीर में सभी नौ ग्रहों के रंग मौजूद हैं।
रत्नों से हमारे शरीर में बना रहता है ग्रहों के रंगों का तालमेल
जन्म कुंडली में ग्रहों की शुभ-अशुभ स्थिति के अनुसार हमें अच्छे-बुरे फल मिलते हैं। ग्रहों की स्थिति के अनुसार हमारे शरीर में रंगों का तालमेल बना रहता है। शरीर में किसी एक रंग का भी संतुलन बिगड़ जाए तो हमें शारीरिक और मानसिक तकलीफों का सामना करना पड़ सकता है। इसी वजह से कुंडली में जिन ग्रहों की स्थिति ठीक नहीं होती है, उनसे संबंधित अलग-अलग रंग के रत्न पहनने की सलाह ज्योतिषियों द्वारा दी जाती है। जब हम किसी ग्रह से संबंधित रत्न पहनते हैं तो उस रत्न से निकलने वाली तरंगे शरीर में उस ग्रह के रंग को संतुलित करती है।
ग्रह और उनके रंग
सूर्य लाल, पीला और नारंगी रंग का कारक है। चंद्र सफेद, चमकीले रंग का कारक है। मंगल लाल, बुध हरा, गुरु पीला, शुक्र सफेद, शनि नीला, राहु-केतु काले-सफेद चितकबरे रंग के माने जाते हैं।
रंग और उनके गुण
लाल ऊर्जा और उत्साह का प्रतीक है। पीला रंग धर्म का प्रतीक है। नीला दिन में उग्रता और रात में शांति देता है। हरा रंग हरियाली और सुकुन देता है। गुलाबी रंग प्रेम का, केसरी रंग सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। सफेद पवित्रता और शांति देता है। काला रंग नकारात्मकता और अंधकार को दर्शाता है।