acn18.com रायपुर/ प्रदेश में नेशनल व स्टेट हाइवे के किनारे स्थित मेडिकल कॉलेज व जिला अस्पतालों में ट्रामा सेंटर खोला जाएगा। यहां न्यूरो सर्जन व हड्डी रोग विशेषज्ञओं की नियुक्ति भी की जाएगी। ऐसे में सड़क दुर्घटना में घायल व अचानक बीमार पड़े लोगों का तत्काल इलाज होने लगेगा। जहां अभी ट्रामा सेंटर चल रहे हैं, उसे मजबूत किया जाएगा। ताकि मरीजों को रायपुर रेफर करने की जरूरत न पड़े। स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया है। इसमें 50 से 75 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।
प्रदेश में 10 सरकारी मेडिकल कॉलेज है, जहां सभी स्थानों पर ट्रामा सेंटर तो हैं, लेकिन अभी वहां न्यूरो सर्जन जैसे विशेषज्ञ नहीं हैं। ऐसे में हेड इंजुरी वाले मरीजों को अंबेडकर अस्पताल रेफर करना पड़ता है। रायपुर का ट्रामा सेंटर सबसे ज्यादा विकसित है। इसके अलावा सिम्स बिलासपुर, रायगढ़, अंबिकापुर, राजनांदगांव, कोरबा, महासमुंद, कांकेर, जगदलपुर व दुर्ग मेडिकल कॉलेजों में ट्रामा सेंटर पूरी तरह विकसित नहीं है।
दुर्ग, धमतरी, जशपुर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, गरियाबंद या दूसरे जिला अस्पतालों में ट्रामा सेंटर आधी-अधूरी सुविधाओं के साथ चल रहा है। धमतरी, जशपुर में फंड की स्वीकृति हो गई है, लेकिन जरूरी मशीन व उपकरण नहीं लगे हैं। विशेषज्ञों की नियुक्ति भी नहीं हुई है।
प्रदेश में 200 से ज्यादा ब्लैक स्पॉट
प्रदेशभर में नेशनल व स्टेट हाइवे में 200 से ज्यादा ब्लैक स्पॉट है। सड़क दुर्घटनाओं में हर साल 5000 से ज्यादा की मौत होती है। हर साल 12 हजार दुर्घटना होती है। वहीं इसमें 10 हजार से ज्यादा लोग घायल होते हैं। यह आंकड़ा पुलिस विभाग का है। विशेषज्ञों के अनुसार नए ट्रामा सेंटर खुलने व पुराने के विकसित होने से मौतों की संख्या में कम होने की संभावना है।
हेड इंजुरी वाले मरीज अंबेडकर रिफर
प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल ज्यादातर मरीजों को अंबेडकर अस्पताल भेजने की मजबूरी है। दरअसल अंबेडकर में मरीज को स्टेबल करने के बाद डीकेएस रेफर किया जाता है। दरअसल अब डीकेएस में ही न्यूरो सर्जरी व न्यूरोलॉजी विभाग शिफ्ट हो गया है। प्रदेश के ज्यादातर मेडिकल कॉलेज या जिला अस्पतालों में न्यूरो सर्जन नहीं होने के कारण मरीजों को अंबेडकर ही रेफर किया जाता है। आने वाले दिनों में ऐसे मरीजों का इलाज प्रदेश के चारों दिशाओं अंबिकापुर, जगदलपुर, महासमुंद व राजनांदगांव में होने लगेगा। इसके अलावा बड़े अस्पतालों में भी मरीजों का इलाज होने लगेगा।