acn18.com जांजगीर/ जांजगीर चाम्पा जिले में बलौदा के मयूरा कान्वेंट स्कूल संचालक और जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के कर्मचारियों के मिली भगत से शिक्षा के अधिकार कानून के तहत 72 लाख रुपये का घोटाला उजागर हुआ है,,मामले मे जिला शिक्षा अधिकारी ने कोतवाली थाना मे रिपोर्ट दर्ज किया है,पुलिस ने मामले मे तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है,,
जांजगीर चाम्पा जिले के जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के कम्प्यूटर ऑपरेटर विकास साहू,क्लर्क शिवानंद राठौर ने बलौदा के मयूरा कान्वेंट स्कूल के संचालक के साथ सांठ गाँठ कर 72 लाख रुपये का घोटाला किया और शिक्षा के अधिकार के तहत स्कूल संचालक को 7 लाख जारी करने के बजाय 72 लाख से अधिक की राशि जारी कर दी,,मामला 2019 – 20 का है,,2 साल पहले हुए इस घोटाला की जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी को मिली जिसके बाद मामले में कलेक्टर के निर्देश पर क्लर्क शिवानंद राठौर को निलंबित और कम्प्यूटर ओपरेटर विकास साहू को बर्खास्त किया और स्कूल संचालक को राशि वापस करने के निर्देश दिए,,इस मामले में स्कूल संचालक ने अपनी गलती स्वीकार की,, और क्लर्क ने इसे मानवीय त्रुटि बताते हुए सुधार के लिए उच्च अधिकारियो को पहले ही जानकारी देने का दावा किया।
इस मामले में एडिशनल एस पी ने बताया कि जिला शिक्षा अधिकारी ने कलेक्टर के निर्देश पर तीनो के खिलाफ कोतवाली थाना में एफआईआर दर्ज कराया है,,जिला शिक्षा अधिकारी ने अपने रिपोर्ट में लिखा है कि आरटीई के तहत 72 लाख से अधिक कि राशि शासन से ले ली गई थी जबकि मयूरा स्कूल को मात्र 7 लाख रुपये भुगतान करना था,, कई बार नोटिस जारी कर बकाया राशि को वापस करने के निर्देश दिए गए लेकिन स्कूल संचालक द्वारा 35 लाख जमा करने के बाद बाकि राशि जमा करने में टाल मटोल किया जा रहा था,,इस मामले में विभाग के कम्प्यूटर आरपरेटर और क्लर्क की मिली भगत सामने आयी है जिसके बाद एफ आई आर दर्ज कराया गया है,,तीनो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है
शिक्षा विभाग में हुए इस घोटाला के बाद 2. साल में 3.जिला शिक्षा अधिकारी बदल गए और इस मामले में किसी ने संज्ञान तक नहीं लिया,,अब नये जिला शिक्षा अधिकारी एच आर सोम ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कार्रवाई की है,,इस कार्रवाई के बाद शिक्षा अधिकारियो की कार्य प्रणाली पर सवाल उठना शुरु हो गया है और पुलिस जाँच में और भी खुलासा होने की संभावना बनी हुई है।
कैदी की तरह महसूस करती थी सरोजिनी नायडू, इसलिए संभाला था उत्तर प्रदेश की राज्यपाल का पद