शनिवार, 18 फरवरी को महाशिवरात्रि है। इस पर्व से जुड़ी दो मान्यताए हैं। पहली, फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी पर ब्रह्मा-विष्णु के सामने शिव जी शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे। दूसरी मान्यता ये है कि इस तिथि पर शिव जी और पार्वती जी का विवाह हुआ था। शिव जी और देवी पार्वती के विवाह से पहले का प्रसंग है।
शिव जी का विवाह करने के लिए बारात लेकर हिमालय राज के यहां पहुंचे। उस समय शिव जी का श्रृंगार बहुत ही अद्भुत था। भगवान के शरीर पर भस्म लगी थी, गले में सांप था। शिव जी का ऐसा स्वरूप देखकर हिमालय राज की पत्नी और पार्वती जी की माता मैना देवी डर गईं।
मैना देवी ने शिव जी को देखकर कहा कि मैं मेरी बेटी का विवाह इसके साथ नहीं करूंगी। अगर मुझे पहले ये मालूम होता तो मैं इस विवाह के लिए तैयार ही नहीं होती। मैं नारद जी के कहने पर इस रिश्ते के लिए तैयार हुई थी, लेकिन अब मैं ऐसे दूल्हे के साथ मेरी बेटी का विवाह नहीं करना चाहती।
ये सुनकर भी शिव जी मौन खड़े थे। उस समय किसी ने शिव जी से पूछा कि आपको गुस्सा नहीं आ रहा है? आपका अपमान हो रहा है।
शिव जी ने कहा था कि मैं विवाह करने आया हूं तो मुझे अहंकार नहीं करना चाहिए। मैं जैसा हूं, मैं अच्छी तरह जानता हूं। अन्य लोग मेरे बारे में जैसा चाहें, वैसा सोच सकते हैं। मुझे इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता है। मैना के मना करने के बाद नारद मुनि ने उन्हें समझाया। इसके बाद मैना शिव-पार्वती के विवाह के लिए तैयार हो गई थीं। इसके बाद देवी पार्वती और शिव जी का विवाह हुआ।
इस मान्यता की वजह से हर साल महाशिवरात्रि मनाई जाती है और शिव-पार्वती की विशेष पूजा की जाती है।