माघ महीने की पूर्णिमा 5 फरवरी, रविवार को है। धर्म ग्रंथों में इस दिन को स्नान-दान का महापर्व कहा गया है। साथ ही पूरे साल के पूर्णिमा स्नान में माघ पूर्णिमा स्नान को सबसे उत्तम भी कहा गया है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के मुताबिक माघ महीने की पूर्णिमा पर तीर्थ के जल में भगवान विष्णु का निवास होता है। साथ ही इस दिन तिल दान करने से कई यज्ञ करने जितना पुण्य फल मिलता है।
ब्रह्मवैवर्त पुराण में माघ पूर्णिमा
माघी पूर्णिमा पर स्नान और दान का खास महत्व है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार माघ पूर्णिमा पर स्वयं भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। इस दिन जो भी श्रद्धालु गंगा स्नान करते हैं। उसके बाद जप और दान करते हैं उन्हें सांसारिक बंधनों से मुक्ति मिलती है। ग्रंथों में माघ को भगवान भास्कर और श्रीहरि विष्णु का महीना बताया गया है। रविवार को श्रद्धालु सूर्योदय के साथ ही तीर्थ स्थानों पर नदियों में स्नान करेंगे।
पद्म और मत्स्य पुराण के अनुसार पुण्य पर्व
पद्म पुराण के मुताबिक माघ मास के दौरान व्रत, दान और तपस्या न भी कर पाएं तो इस महीने के आखिरी दिन यानी पूर्णिमा पर सूर्योदय से पहले उठकर गंगा नदी या प्रयागराज में तीन नदियों के संगम में नहाने से अक्षय पुण्य मिलता है।
ऐसा न कर पाएं तो घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे और चुटकी भर तिल डालकर नहाने से भी तीर्थ स्नान करने जितना पुण्य मिल जाता है। मत्स्य पुराण में कहा गया है कि इस दिन ब्रह्मवैवर्त पुराण का दान करने से ब्रह्म लोक मिलता है। इस तरह ये पुण्य देने वाला पर्व है।
पूरे महीने तीर्थ स्नान का फल
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के मुताबिक सत्ताइस नक्षत्रों में मघा नक्षत्र के नाम से माघ पूर्णिमा हुई थी। इस तिथि का धार्मिक और आध्यात्मिक नजरिये से भी बहुत महत्व है। पूरे महीने अगर तीर्थ स्नान न कर सकें तो माघ पूर्णिमा पर गंगा या पवित्र नदियों में स्नान जरूर करना चाहिए। इससे पूरे माघ महीने में तीर्थ स्नान करने का पुण्य फल मिल जाता है। साथ ही भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की कृपा भी बनी रहती है।