ये हफ्ता स्नान-दान और व्रत वाला रहेगा। इस सप्ताह में माघ महीने की षटतिला एकादशी, तिल द्वादशी और मौनी अमावस्या आएगी। माघ महीने की ये अमावस्या शनिवार को होने से शनीश्चरी महापर्व होगा। इन व्रत-पर्व पर पानी में तिल डालकर नहाने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। साथ ही इन दिनों में तिल का दान करने से मिलने वाला पुण्य कभी खत्म नहीं होता। इन तीनों व्रत-पर्वों पर स्नान-दान करने से अक्षय पुण्य मिलता है।
16 से 21 जनवरी तक व्रत-पर्व के तीन खास दिन…
18 जनवरी, बुधवार: इस हफ्ते बुधवार को षटतिला एकादशी व्रत किया जाएगा। माघ महीना होने से इस व्रत में पानी में तिल डालकर नहाने और भगवान विष्णु की तिल से पूजा करने के साथ तिल का ही दान करने से कई यज्ञ करने जितना पुण्य फल मिलता है।
19 जनवरी, गुरुवार: इस दिन माघ महीने की द्वादशी तिथि रहेगी। नारद, पद्म और विष्णु पुराण का कहना है कि इस दिन भी तिल वाले पानी से नहाने, तिल खाकर व्रत करने और भगवान विष्णु की तिल से पूजा करने से अश्वमेध यज्ञ करने जितना पुण्य मिलता है। तिल द्वादशी का व्रत करने से मिलने वाला पुण्य लंबे समय तक शुभ फल देता है।
21 जनवरी, शनिवार: इस दिन माघ महीने की अमावस्या रहेगी। इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है। पुराणों में कहा गया है कि इस पर्व पर प्रयागराज के संगम में नहाने से कई जन्मों के जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। इस दिन देवता भी संगम में स्नान के लिए आते हैं। इस बार शनिवार का योग बनने से ये शनैश्चरी महापर्व हो जाएगा। इस पवित्र संयोग में तीर्थ स्नान करने से मिलने वाला पुण्य कभी खत्म नहीं होगा।
माघ महीने में तीर्थ स्नान का महत्व
सेहत की गड़बड़ी के चलते अगर पूरे माघ महीने में तीर्थ स्नान न कर पाएं तो ग्रंथों के मुताबिक एकादशी, द्वादशी और अमावस्या पर भी पानी में गंगाजल और तिल मिलाकर नहा सकते हैं। ऐसा करने से पूरे माघ में तीर्थ स्नान करने जितना पुण्य फल मिल सकता है। ग्रंथों में कहा गया है कि किसी भी तीर्थ का पानी माघ महीने में गंगाजल के समान हो जाता है। इस पवित्र महीने में तिल वाले पानी में भगवान विष्णु का अंश मौजूद होता है। इसलिए माघ महीने के दौरान आने वाले इन पर्वो पर स्नान करने से अक्षय पुण्य मिलता है।