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पवित्र महीना शुरू:माघ मास में भगवान विष्णु के माधव रूप की पूजा का विधान, स्नान-दान से मिलता है कई यज्ञ करने जितना पुण्य

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माघ मास 7 जनवरी, शनिवार से शुरू हो गया है। जो कि 5 फरवरी रविवार तक रहेगा। इस महीने के स्वामी माधव हैं। ये भगवान विष्णु और कृष्ण का ही नाम है। इस महीने में सहस्त्रांशु नाम के सूर्य की पूजा करने का विधान अग्नि पुराण में बताया गया है।

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माघ मास में भगवान विष्णु, कृष्ण और सूर्य पूजा की परंपरा है। ऐसा करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। इसलिए माघ मास को पाप खत्म करने और पुण्य देने वाला महीना कहा गया है।

पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि इस पवित्र महीने में स्नान का बहुत महत्व है। यानी माघ में पवित्र नदियों के जल से नहाना चाहिए। ऐसा न कर पाएं तो घर पर ही गंगाजल या किसी भी पवित्र नदी के जल की कुछ बूंदे पानी में डालकर नहाने से भी तीर्थ स्नान करने जितना पुण्य मिलता है।

माघ स्नान का महत्व
पद्म पुराण में माघ मास का महत्व बताते हुए कहा गया है कि इस महीने में स्नान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस महीने में स्नान करने से हजारों अश्वमेध यज्ञ कराने के बाराबर पुण्य फल मिलता है। वहीं, प्रयागराज के संगम में माघ मास के दौरान स्नान करने से कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है।

सुख-सौभाग्य और मोक्ष देने वाला महीना
काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी का कहना है कि माघ मास में हर दिन प्रयाग संगम पर नहाने से सुख, सौभाग्य, धन और संतान प्राप्ति होती है और मृत्यु के बाद मोक्ष भी मिल जाता है। भगवान विष्णु का धाम मिलता है।

पूरे माघ महीने में प्रयागराज के संगम में नहाने से कई यज्ञों को करने जितना पुण्य भी मिलता है। साथ ही सोना, भूमि और गौदान करने का पुण्य भी माघ मास में तीर्थ स्नान करने से मिलता है।

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