acn18.com रायपुर/पं. दीनदयाल उपाध्याय हेल्थ साइंस एंड आयुष विवि में प्रवेश लेने वाले दूसरे राज्यों के छात्रों को अब पहली बार पात्रता प्रमाणपत्र जमा नही करना होगा। मेडिकल, डेंटल, नर्सिंग, आयुर्वेद, बीपीटी, बीएएमएस समेत दूसरे कोर्स की पढ़ाई करने वाले छात्रों को राहत देने के लिए इसकी अनिवार्यता ही खत्म कर दी गई है। यह नियम इसी सत्र 2022-23 से लागू किया गया है। विवि के अधिकारियों का कहना है कि पात्रता प्रमाणपत्र के कारण नामांकन में देरी होती है। इसे बनाने में छात्रों को तीन माह से ज्यादा समय लग जाता है। इस वजह से पढ़ाई प्रभावित होती थी। अब इस नियम को खत्म कर दिया गया है।
पात्रता प्रमाणपत्र उन छात्रों के लिए अनिवार्य है, जो दूसरे राज्य या विवि से पढ़कर आयुष विश्वविद्यालय में प्रवेश लेते हैं। प्रदेश में 13 मेडिकल कॉलेज, 6 डेंटल, 141 नर्सिंग, 9 आयुर्वेदिक, 2 फिजियोथैरेपी के अलावा एक नेचुरोपैथी कॉलेज हैं। सरकारी मेडिकल व डेंटल कॉलेजों में 15 फीसदी सीटें आल इंडिया व सेंट्रल पुल कोटे की सीटें होती हैं। यही नियम आयुर्वेद कॉलेज में भी लागू होता है। दूसरे राज्यों के छात्र इसी कोटे से विवि के कॉलेजों में प्रवेश लेते हैं। इसके अलावा सरकारी व निजी नर्सिंग कॉलेजों में दूसरे राज्यों से भी बड़ी संख्या में छात्र पढ़ने आते हैं। ऐसे छात्रों को पात्रता प्रमाणपत्र की जरूरत होती थी, जो अब नहीं बनवाना पड़ेगा।
कई प्रक्रियाओं में होता है सत्यापन इसलिए अब प्रमाण पत्र जरूरी नहीं : मेडिकल, डेंटल कोर्स में एडमिशन लेने वाले छात्र नीट से लेकर डीएमई कार्यालय तक की प्रक्रियाओं से गुजरते हैं। फिर कॉलेजों में स्क्रूटिनी भी होती है। विवि के अधिकारियों का मानना है कि जब छात्र इन महत्वपूर्ण संस्थानों से फिल्टर होकर आते हैं तो विवि पात्रता प्रमाणपत्र जरूरी नहीं रह जाता। इस प्रमाण पत्र की वजह से नामांकन में देरी होती है। छात्रों को अपनी कक्षाएं छोड़कर पुराने विवि का चक्कर लगाना पड़ता है। इससे कई तरह की परेशानी होती है और पढ़ाई भी प्रभावित होती थी। इसलिए इस अनिवार्यता को ही खत्म कर दिया गया है।
1000 रु. फीस जमा करना जरूरी
राज्य के बाहर बोर्ड या दूसरे विवि से आकर प्रवेश लेने वाले छात्रों को 1000 रुपए फीस जमा करना अनिवार्य होगा। यह इमिग्रेशन शुल्क होगा। छात्र इसे ऑनलाइन भी जमा कर सकते हैं। यह शुल्क नामांकन के लिए आवेदन करते समय देना होगा।
इस शुल्क के बिना नामांकन नहीं होगा। अधिकारियों ने बताया कि पात्रता प्रमाणपत्र खत्म कर छात्रों को सुविधा तो दी गई है, लेकिन शुल्क पहले ही तरह ही रहेगा।
पात्रता प्रमाण पत्र के लिए छात्रों को परेशान होना पड़ रहा था। इससे नामांकन में भी देरी हो रही थी। नीट व डीएमई से जांच के बाद छात्र प्रवेश लेते हैं। इसलिए नियम को खत्म किया है।
डॉ. एके चंद्राकर, कुलपति आयुष विवि