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टमाटर सड़क पर फेंकने को मजबूर किसान:बोले- कम कीमत मिलने से नहीं निकल रही लागत, पैदावर ज्यादा होने से बनी स्थिति

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acn18.com भिलाई/छत्तीसगढ़ में किसान एक बार फिर टमाटर की फसल को सड़कों में फेंकने को मजबूर है। किसानों का कहना है कि मंडी में पहुंचाने के बाद भी उनकी लागत नहीं निकल पा रही है। उन्हें टमाटर की फसल बेचने से नुकसान हो रहा है। मंडी में किसानों को 90 से 120 रुपए कैरेट टमाटर की कीमत मिल पा रही है। अगर ऐसा ही रहा तो किसान फसल को खेत में सड़ने के लिए छोड़ देगा।

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भास्कर ने सुपेला आकाश गंगा सब्जी मंडी में पहुंचने वाले किसान से बात की। यहां राजनांदगांव जिले से टमाटर लेकर पहुंचे किसान भूपेंद्र मेहता ने बताया कि किसान अपनी लागत तक नहीं निकाल पा रहा है। खेत से मंडी तक भेजने में जो लागत लगती है वह भी नहीं निकल पा रही है। बिचौलियों द्वारा 4-5 रुपए किलो में टमाटर मांगा जा रहा है। मंडी के दलाल बैगन और लौकी लेने को तैयार नहीं है।

किसान बैंक से लोन लेकर फसल लगाता है। इसके बाद उसे लेबर को भी पैसा देना पड़ता है। फसल तैयार होने के बाद वह अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहा है। यही हालत रहे तो किसानों को आत्महत्या करने को मजबूर होना पड़ेगा। किसान टमाटर सहित अन्य सब्जी को तोड़ने की जगह खेत में ही सड़ने देगा।

बोली लग जाने के लिए दूसरी मंडी में जाने के लिए रखा टमाटर
बोली लग जाने के लिए दूसरी मंडी में जाने के लिए रखा टमाटर

 

8 रुपए किलो से कम देने में नहीं है मुनाफा
मंडी में आए किसानों ने बताया कि उन्हें टमाटर का रेट कम से कम 8-10 रुपए किलो मिलना ही चाहिए। तभी वह कुछ मुनाफा कमा पाएंगे। वर्तमान में खाद के रेट काफी बढ़ गए हैं। इससे किसान की पैदावार लागत तो बढ़ गई है, लेकिन मंडी में रेट पहले से भी कम मिल रहा है।

कम कीमत मिलने से व्यापारियों को भी नुकसान
आकाश गंगा सब्जी मंडी के थोक व्यापारी राकेश गुप्ता ने बताया कि सब्जी के दाम कम रहेंगे तो इससे किसान ही नहीं व्यापारी को भी नुकसान है। वर्तमान में जो सब्जी के रेट इतने कम हुए हैं वह अधिक पैदावार के चलते हुए हैं। केवल दुर्ग ही नहीं आसपास के जिलों और दूसरे राज्यों में भी सब्जी की इस बार काफी अच्छी पैदावार है। मंडी में बैगन लौकी, फूलगोभी को लोग पूछ तक नहीं रहे हैं। सरकार को चाहिए की वह इसके लिए कोई ठोस योजना लाए, जिससे हर बार किसान और व्यापारियों को नुकसान न उठाना पड़े।

इस बार 88 हेक्टेयर अधिक में टमाटर की फसल
उद्यानिकी विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले साल जिले में 1312 हेक्टेयर में टमाटर की फसल लगाई गई थी। इस बार इसका रकबा बढ़कर 1400 हेक्टेयर तक पहुंच गया है। दुर्ग जिले के नगपुरा क्षेत्र में ही 200 एकड़ में टमाटर की फसल किसान ले रहे हैं। इसके साथ ही इस बार फसल भी काफी अच्छी है। इससे टमाटर की पैदावार डिमांड से अधिक है। इसके साथ ही बंगाल और ओडिशा से भी टमाटर की फसल आने इसके दाम औंधे मुंह गिर गए हैं।

दूसरे राज्यों में भी टमाटर की कम डिमांड
100 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में टमाटर की फसल ले रहे किसान लखन साहू ने बताया कि टमाटर के दाम केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं दूसरे राज्यों में भी कम हैं। उन्होंने आंध्र प्रदेश की मंडी में टमाटर का भाव लिया तो वहां भी 60-70 रुपए कैरेट में डिमांड आ रही है। दुर्ग के धमधा क्षेत्र का टमाटर अपनी क्वालिटी के चलते कोलकाता, ओडिशा, दिल्ली और भोपाल तक जाता है। इस बार उसकी भी डिमांड काफी कम है।

इस मौसम में जल्दी पक जाता है टमाटर
उद्यानिकी विभाग के अशोक साहू का कहना है कि इस मौसम में टमाटर की फसल तेजी से पकती है। टमाटर कम समय में ही पक कर लाल हो जाता है। सामान्य दिनों में टमाटर की फसल को पकने में 7-10 दिन का समय लगता है, लेकिन इस मौसम में वह 4-5 दिन में ही पक कर तैयार हो जा रहा है।

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