acn18.com कोरबा/शराब दुकानों के आसपास बिकने वाला चखना काफी समय से विवाद के साथ-साथ शोध का विषय भी बना हुआ है। इसे लेकर हर बार अलग कहानी बन जाती है। कई तरह के खुलासे होने पर भी तस्वीर मैं कोई खास बदलाव नहीं होता। कोरबा शहरी क्षेत्र में शराब दुकान के पास संचालित चखना दुकानों के कर्ताधर्ताओ को अब आबकारी और पुलिस को ज्यादा रुपए देने पड़ रहे हैं ।
भले ही शराब दुकानों के मामले में सरकार की नीति चाहे जो हो लेकिन यह दिलचस्प पहलू है कि इसकी आड़ में चखना दुकान संचालक अच्छा कारोबार कर लेते हैं। इसलिए इनके संचालन को लेकर भारी भरकम एप्रोच तक लगानी पड़ जाती है। ऊपर से मॉनिटरिंग करने वाले सिस्टम को खुश करना पड़ता है सो अलग। इसलिए तमाम तरह की आपत्ति और विरोध प्रदर्शन के बावजूद शराब दुकानों के आसपास चखना दुकाने आबाद है। mudaapaar बायपास रोड में शराब दुकान के आसपास जो चकना दुकानें पहले सामने चल रही थी अब उनकी जगह बदल गई है । कारोबारियों ने बताया कि कुछ दिन पहले ही यह बदलाव हुआ है।
व्यवसाय के संबंध में खुलकर हुई बातचीत के दौरान कारोबारियों ने बताया कि अब तो नियम ऐसा हो गया है कि आप चखना दुकान अंदर चलाओ चाहे बाहर, आबकारी और पुलिस को रुपया देने ही पड़ेंगे। खाने पीने का सामान बेचकर जीविका चलाने वाले इन लोगों से जब चर्चा हुई तो कई प्रकार की चीज निकल कर सामने आई। बताया गया कि हर दिन का नजराना देने के बाद भी कई बार ऐसा होता है जब कोई खास मेहमान पहुंच जाता है तो उसके लिए डिमांड बढ़ जाती हैं और फिर हम लोग चंदा करके व्यवस्था करते हैं। यह अतिरिक्त खर्च है।
आबकारी विभाग के जिलाधिकारी से ग्रैंड एशियन न्यूज़ ने शराब दुकानों के पास संचालित हो रही चकना दुकानों के बारे में बातचीत की तो उन्होंने साफ तौर पर बताया कि कहीं भी नियम विरुद्ध काम नहीं होने देंगे। इस मामले में अगर हमारे विभाग के कर्मचारी संलिप्त होंगे तो उन पर कार्रवाई की जाएगी।
हालांकि इस प्रकार के मामले कोई पहली बार कोरबा जिले में नहीं आए हैं। इससे पहले भी कई तरह के खुलासे जिले में हुए हैं और इसके माध्यम से साफ हो चुका है कि यह पूरा खेल आखिर संचालित कैसे होता है। देखना होगा कि चखना दुकान चलाने वाले लोगों ने जो नए खुलासे फिलहाल किए हैं उस पर उच्च अधिकारी का क्या एक्शन होता है