अगहन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी सोमवार को विवाह पंचमी का पर्व हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दिन का विशेष महत्व है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार इस दिन पुरुषोत्तम श्रीराम का विवाह माता सीता से हुआ था। हर साल इस दिन को भगवान राम और मां सीता के विवाह पर्व के तौर पर मनाया जाता है।
इस साल विवाह पंचमी का शुभ दिन 28 नवंबर को है। इस दिन भगवान राम-सीता की विशेष पूजा होती है। व्रत रखा जाता है। दिनभर मंदिरों में यज्ञ-अनुष्ठान और भजन-कीर्तन होते हैं। इस पर्व पर रामचरितमानस का पाठ करने की भी परंपरा है।
रामचरित मानस पाठ का है विशेष महत्व
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि मार्गशीर्ष की पंचमी तिथि को ही तुलसीदास जी ने रामचरितमानस पूरी की थी, साथ ही राम सीता जी का विवाह भी इसी दिन हुआ था इसलिए विवाह पंचमी के दिन रामचरितमानस का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि यदि इस दिन रामचरितमानस का पाठ किया जाए तो घर में सुख-शांति आती है।
विवाह में आने वाली अड़चन दूर होती है
जिन लोगों के विवाह में बाधाएं आ रही हो या फिर विलंब हो रहा हो उन्हें विवाह पंचमी के दिन व्रत रखना चाहिए और विधि-विधान के साथ भगवान राम और माता सीता का पूजन करना चाहिए। इसी के साथ प्रभु श्री राम और माता सीता का विवाह संपन्न करवाना चाहिए।
पूजन के दौरान अपने मन में मनोकामना कहनी चाहिए। मान्यता है कि इससे जल्दी शादी होने के योग बनते हैं साथ ही सुयोग्य जीवन साथी की प्राप्ति होती है और विवाह में आ रही अड़चनें दूर होती है।