16 नवंबर को सूर्य राशि बदलकर तुला से वृश्चिक में जा रहा है। सूर्य के राशि परिवर्तन वाले दिन का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व तो है। साथ ही ये सेहत के नजरिये से भी खास है। स्नान-दान और सूर्य पूजा के इस पर्व से मौसम भी बदलने लगता है। इसी दिन से हेमंत ऋतु भी शुरू हो जाती है। इसलिए संक्रांति पर्व पर स्नान, व्रत-उपवास और जरूरतमंद लोगों को दान देने की परंपरा शुरू हुई है। जानिए क्यों खास है संक्रांति पर्व…
वृश्चिक संक्रांति का फल
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि छोटे स्तर पर काम करने वाले लोगों के लिए ये संक्रान्ति अच्छी है। चीजों के दाम और महंगाई बढ़ सकती है। लोगों को सेहत में सुधार होगा। बीमारियों के संक्रमण में कमी हो सकती है।
मंगल की राशि में सूर्य के आ जाने से 16 दिसंबर तक कई लोगों के लिए कष्ट समय अच्छा हो सकता है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सूर्य का अच्छा असर दिखेगा। पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में सुधार होगा।
क्या करें इस पर्व पर
ग्रंथों के मुताबिक वृश्चिक संक्रांति पर जरूरतमंद लोगों को खाना और कपड़ों का दान करने का महत्व है। इस दिन ऊनी कपड़ों के साथ जूते-चप्पल और गुड़-तिल सहित शरीर में गर्माहट देने वाली खाने की चीजों का दान करने की परंपरा है। ग्रंथ कहते हैं कि इस दिन ब्राह्मण को गाय दान करने से महा पुण्य मिलता है।
सेहत के लिए खास दिन
सूर्य के राशि परिवर्तन से मौसम बदलता है। इसके वृश्चिक राशि में आने से हेमंत ऋतु शुरू हो जाती है। यानी हल्की ठंड का मौसम बन जाता है। मौसम बदलते ही पहला असर डाइजेशन पर होता है। इसलिए इस दिन व्रत या उपवास करने का विधान है। बीमारियों से बचने और लंबी उम्र के लिए इसी दिन से खान-पान में भी बदलाव शुरू हो जाते हैं।
वृश्चिक संक्रांति का धार्मिक महत्व
सोमवार को शुरू होने से इसका महत्व और बढ़ गया है। यह संक्रांति धार्मिक व्यक्तियों, वित्तीय कर्मचारियों, छात्रों व शिक्षकों के लिए बहुत शुभ मानी जाती है। वृश्चिक संक्रांति यानी 16 नवंबर से 15 दिसंबर तक सूर्य पूजा और दान से हर तरह की परेशानियां दूर होती हैं। भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से बुद्धि, ज्ञान और सफलता मिलती है।