हिन्दी पंचांग का नवां महीना अगहन चल रहा है। इस महीने से शीत ऋतु यानी ठंड बढ़ने लगती है। मौसम परिवर्तन का समय है, ऐसे में खान-पान और अन्य कार्यों में सावधानी रखनी जरूरी है, वर्ना स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं। ये महीना धर्म-कर्म के साथ ही सेहत के लिए भी बहुत खास है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक अगहन यानी मार्गशीर्ष मास में श्रीकृष्ण की पूजा खासतौर पर की जाती है, क्योंकि श्रीकृष्ण ने खुद भागवत कथा में इस माह को खुद का स्वरूप बताया है। इस महीने में मथुरा, गोकुल, वृंदावन, गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने का विशेष महत्व है। इन जगहों के साथ ही अन्य तीर्थ की यात्रा भी इस महीने में की जा सकती है।
रोज सुबह जल्दी उठें और मेडिटेशन करें
अगहन महीने में रोज सुबह जल्दी उठना चाहिए और मेडिटेशन भी जरूर करें। इसके लिए शांत और पवित्र जगह का चयन करें। आसन बिछाकर बैठ जाएं और आंखें बंद करके अपने इष्टेदव का ध्यान करें। ध्यान करने से मन शांत होता है और नकारात्मक विचार खत्म होते हैं। इसके साथ ही खान-पान के संबंध में भी सतर्क रहें। संतुलित आहार लें और ऐसी चीजों से बचें, जिन्हें पचाने में अधिक समय लगता है।
रोज चढ़ाएं सूर्य को जल
अगहन मास में सूर्य पूजा करने का विशेष महत्व है। रोज सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाना चाहिए और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। इस काम से धर्म लाभ के साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं। सूर्य को जल चढ़ाने से मन शांत होता है, आलस्य दूर होता है, आंखों की रोशनी बढ़ती है। इस समय में सूर्य से मिलने वाली धूप सेहत के लिए फायदेमंद होती है।
भविष्य पुराण में श्रीकृष्ण ने सांब को बताया है सूर्य पूजा का महत्व
भविष्य पुराण के ब्राह्म पर्व में श्रीकृष्ण अपने पुत्र सांब को सूर्य पूजा का महत्व बता रहे हैं। श्रीकृष्ण कहते हैं कि सूर्य एकमात्र प्रत्यक्ष देवता हैं। जो व्यक्ति श्रद्धा-भक्ति के साथ सूर्य पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सूर्य की पूजा के प्रभाव से ही मुझे भी दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई है।
ये है सूर्य को जल चढ़ाने की सरल विधि
तांबे के लोटे में जल भरें। जल में चावल, फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। जल अर्पित करते समय सूर्य मंत्र का जप करें। सूर्य देव के मंत्र ऊँ सूर्याय नम: का जप करें।