acn18.com कोरबा/कल रात जब पुल का वीडीओ जिसमें कुछ युवक मस्ती करते दिखे,ये कहा गया कि ऐसे में तो दुर्घटना होनी ही थी. जब गुजरात के मूलनिवासी और कोरबा के वरिष्ठ पत्रकार मनोज शर्मा ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा ऐसा कहना अपनी जिम्मेदारी से भागना होगा.
पेश है मनोज शर्मा का कथन
ये लोगों पर जिम्मेदारी डाल शासन प्रशासन की गर्दन बचाने का प्रयास है।जरा नगर निगम के चीफ ऑफिसर झाला के बयान को गौर कीजिए,जिसने कहा कि बिना अनुमति के oreva ने पूल खोल दिया।पांच दिन पहले oreva के चेयरमैन पटेल ने अपनी बेटी,पत्नी,नाती के साथ समारोह पूर्वक पुल को रेनोवेशन के बाद शुरू किया था।लोकल चैनल,समाचार पत्रों में इसका कवरेज हुआ।तब पटेल ने शान से कहा के पूल के लिए विशेष मजबूत स्टील का निर्माण जिंदल से करवाया।ऐसे पुल के निर्माण के लिए ध्रंगधरा जिला सुरेंद्रनगर की स्पेशलिस्ट प्रकाश भाई की कंपनी ने रेनोवेशन का काम किया।गुजरात में दीवाली पर एक सप्ताह याने कि सात दिन की छुट्टी रहती है।पिछले पांच दिनों के दरमियान वहां रोज ही भिड़ थी फिर भी मोरबी का निगम और जिला प्रशासन आंख मूंदे बैठे रहा।आंखे खुली भी तो डेढ़ सौ से अधिक की मौत के बाद।वहां के लोगों का कहना है कि रविवार को ही सरदार पटेल की प्रतिमा अनावरण का कार्यक्रम हुआ।शहर में विकास जताने पूल को भी खोला गया।कुछ लोगों ने जा कर पूल पर ओवरलोड होने व युवकों द्वारा मस्ती करते हुए पूल के जाल को पकड़ हिलाने की शिकायत पूल के ऑफिस में जा कर की।काश इस पर ध्यान दिया जाता तो शायद ये दुर्घटना नहीं होती।पिछले आठ साल से लगातार स्थिर और मजबूत डबल इंजिन की सरकार की खूब दुहाई देते हुए खास कर मीडिया किसी गड़बड़ी के लिए लोगों को जिम्मेदार ठहराने का खेल खेलती है और सरकार पर धब्बा लगने की बजाय लोग खुद को आत्मग्लानि के साथ जिम्मेदार मानने लगते है।मोदी मुरीद ताल ठोंकते है कि हर चीज के लिए सरकार जिम्मेदार नहीं।फिर ये पूल का टूटना हो या नशाबंदी वाले मोदी के गुजरात में जहरीली शराब से सैकड़ों की जान जाने का मामला।तब भी ये वायरल हुआ था कि आखिर शराब पीते ही क्यों है
क्या ये उचित नहीं होगा कि सरकारें तो झूलती हुई हो किंतु पूल स्थिर और मजबूत हो…सरकारों को जगाने के लिए आखिर और कितने लाशों के अंबार चाहिए…?