acn18.com कोरबा/एसईसीएल की मानिकपुर कोल परियोजना में विरोध की आग एक बार फिर से भड़क गई है। प्रबंधन के खिलाफ ग्राम दादाखुर्द के ग्रामीण विरोध प्रदर्शन कर अपना आक्रोश जता रहे है। ग्रामीणों का कहना है,कि प्रबंधन ने पहले ही जिन ग्रामीणों की जमीन ली थी उन्हें न तो मुआवजा दिया है और न ही पुनर्वास की व्यवस्था की है। ऐसे में नए सिरे से कई किसानों के खेतों में मिट्टी फीलिंग का कार्य कराया जा रहा है,जो सर्वथा अनुचित है।
कोरबा में एसईसीएल प्रबंधन और भू-विस्थापितों के बीच टकराहट का दौर जारी है। किसी न किसी बात को लेकर दोनों के बीच आए दिन विवाद हो रहा है। मानिकपुर परियोजना में एक बार फिर से विरोध की आग भड़क गई है और ग्राम दादाखुर्द के ग्रामीण प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोलकर बैठ गए है। दरअसल प्रबंधन गांव के करीब 20 किसानों के खेतों में बिना सूचना दिए मिट्टी फीलिंग का कार्य करवा रहा था। इस बात की जानकारी होने पर ग्रामीण एकजुट हुए और प्रबंधन की खिलाफ करते हुए खदान के भीतर प्रदर्शन करने लगे। ग्रामीणों का आरोप है,कि एसईसीएल ने पुराने प्रकरणों का निराकरण अब तक नहीं किया है ऐसे में नए जमीन को किस आधार पर लिया जा रहा है यह समझ से परे है।
ग्रामीणों के प्रदर्शन को देखते हुए एसईसीएल के अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए और लोगों को शांत कराने के प्रयास में जुट गए। लेकिन ग्रामीण मानने को तैयार नहीं हुए। अंत में अधिकारियों ने कहा,कि जिस जमीन को लेकर विवाद हो रहा है उसका निपटारा जब तक नहीं हो जाता तब तक काम बंद किया जाता है। प्रशासन द्वारा विवाद का निपटारा करने के बाद ही आगे की प्रक्रिया शुरु की जाएगी।
ग्राम दादरखुर्द के ग्रामीणों की एसईसीएल के खिलाफ लड़ाई पिछले लंबे समय से जारी है। खदान विस्तार के लिए जिन ग्रामीणों ने जमीन दिया उन्हें न तो नौकरी मिली और न ही मुआवजा। बावजूद इसके प्रबंधन एक बार फिर से ग्रामीणों की जमीन लेने की फिराक में जुट गया है। बहरहाल ग्रामीणों के विरोध के बाद एसईसीएल ने काम रोक दिया है देखने वाली बात होगी,कि इस विवाद का अंत कब तक होता है।
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